मेजा बांध पर छाने लगी मस्ती, सावन में हिलोर के साथ लुभा रहा मन
सावन मास का आधा सत्र बीत गया। वस्त्रनगरी की जीवन रेखा मेजा बांध पर पानी की आवक से हिलोर मन को लुभा रहा है। बड़ी संया में पर्यटक प्रतिदिन आ रहे है। यहां के बाग-बगीचे गुलजार है। बगीचों में रौनक लौट गई है।
पर्यटक बांध में नहाने का आनंद उठा रहे है। रविवार को अवकाश दिन होने से यहां दिनभर पर्यटकों की रेलमपेल रही। बगीचे में घूमने के साथ पाल पर घोड़े की सवारी का लोगों ने पिकनिक आनंद लिया। बांध पर जल संसाधन विभाग की उदासीनता से पर्यटकों को परेशानी हो रही है।
यह है हालात
बांध परिसर में बगीचा दुर्दशा का शिकार हो रहा है। बच्चों के झूले गायब है तो बगीचों में बड़ी-बड़ी घास उगी है। जगह-जगह पर गंदगी के ढेर है। बगीचों में लगे फव्वारे खराब पड़े है। पेयजल के साथ मूलभूत सुविधा की दरकार है।
न सुरक्षा न पाबंदी
बांध पर पर्यटकों के लिए न तो सुरक्षा है ना ही पाबंदी। बांध की दीवार पर बच्चे चल रहे है तो मनचले परेशान कर रहे है। शराब पीकर हुड़दंग की जाती है। राह चलती महिलाओं पर फब्तियां कसी जाती है। मांडल थाने का जाब्ता अब तक नहीं लगा है।
60 साल में छह बार भी सौंदर्यकरण नहीं
मेजा बांध पर पर्यटकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पर्यटक स्थल पर अनदेखी का रोग लगा है। बांध छह दशक पुराना भले ही हो गया, इसकी मरमत व सौंदर्यकरण के नाम पर छह बार भी काम नहीं हुआ। हर साल मरमत का ढोल पीटा जाता है, लेकिन जो बजट मिल रहा उससे रखरखाव से ज्यादा कुछ खास नहीं हो पाता। ऊंट के मुंह में जीरे के समान मिल रहे बजट से जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी परेशान है। पर्यटक स्थल की देखरेख का जिमा जिंदल सॉ के पास है। वहां भी अपनी जिमेदारी से पीछे हट रही है।