17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जलदाय विभाग और चम्बल परियोजना अधिकारियों की लापरवाही और तालमेल का अभाव

करोड़ों रुपए की लागत की चम्बल परियोजना भी शहर की प्यास नहीं बुझा पाई

2 min read
Google source verification
Bhilwara, bhilwara news, Water crisis in bhilwara,  Latest news in bhilwara, Bhilwara News in hindi, Hindi News in bhilwara, Latest hindi news in bhilwara

करोड़ों रुपए की लागत की चम्बल परियोजना भी शहर की प्यास नहीं बुझा पाई। अभी गर्मी परवान पर भी नहीं पहुंची लेकिन पेयजल संकट मुंह फाडऩे लगा है।

भीलवाड़ा।

करोड़ों रुपए की लागत की चम्बल परियोजना भी शहर की प्यास नहीं बुझा पाई। अभी गर्मी परवान पर भी नहीं पहुंची लेकिन पेयजल संकट मुंह फाडऩे लगा है। चम्बल का पानी आने के बाद जलसंकट खत्म होने का वादा दो साल बाद भी हकीकत की जमीन पर नहीं उतर आया। वजह है-जलदाय विभाग और चम्बल परियोजना अधिकारियों की लापरवाही और तालमेल का अभाव। दोनों ओर के अफसर एक दूसरे को जिम्मेदार बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं और खमियाजा जनता भुगत रही है।

READ: अब घर बैठे भुगतान जैसी बैंकिंग सुविधाएं देंगे डाकिए


एक दूसरे के पाले में गेंद
जलदाय अधिकारियों कहना था,शहर में बीस पाइंट हैं, जिनको नई लाइन से जोडऩे से जलसंकट खत्म हो जाएगा। परियोजना अधिकारियों को बता दिया था कि गर्मी में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। परियोजना अधिकारियों कहना था कि जलदाय अभियंता मौके पर नहीं आते। हमारी बात नहीं सुनते। कहां पुरानी लाइन है और किन लाइनों से जोड़ा जाना यह जलदाय विभाग के अभियंता ही बता सकते हैं।

READ: 142 किलोमीटर दूर से यहां ले आए पानी, अब अफसरों के कुप्रबंधन से शहर प्यासा


पीने के लिए भरें या घरेलू काम में लें
पुराना भीलवाड़ा, माणिक्यनगर, आजादनगर के कई सेक्टर में रोज पानी दिया जा रहा। इन इलाकों में नई लाइन डाली गई जबकि आधा शहर पेयजल को तरस रहा है। यहां ४८ घण्टे में भी जलापूर्ति नहीं हो रही। महज ५० मिनट सप्लाई दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिनते मिनट पानी आता है, उससे पीने का भी पूरा नहीं भर पाते। एेसे में नियमित दिनचर्या के लिए पानी का बंदोबस्त टेढी खीर है।


दो साल बाद भी वादा अधूरा
- कई इलाकों में बड़े हौद में उतर कर पानी भरने की मजबूरी
- घर के बाहर तक प्रेशर से पानी नहीं आ रहा
- रोज पानी देने का वादा किया था, ४८ घण्टे में जलापूर्ति हो रही
- शहर के आउटर इलाके में नई लाइनों का बिछाया जाल
- गली-मोहल्ले में तीन दशक से भी ज्यादा पुंराने पाइप बिछे।


समस्या क्या
चम्बल परियोजना अधिकारियों ने गली-मोहल्लों में लाइने नहीं बदली बल्कि कॉलोनियों के बाहर से डाली नई लाइनों को जलदाय विभाग की पुरानी लाइनों से जोड़ दिया। ये लाइनें पुरानी है, जो प्रेशर नहीं झेल सकती। शहर में करीब २४ नई टंकियां बनाई है। इनसे करीब बीस जगह पुरानी लाइनों को जोडऩा है। लाइन मिलान नहीं करने से टेल क्षेत्र में प्रेशर के साथ पानी नहीं आ रहा।

अफसर, जिन पर प्यास बुझाने का जिम्मा
एक इंच लाइन भी बिछाने का हमारे पास अधिकार नहीं। पहले ही बता दिया शहर में बीस पाइंटों को नई लाइन से जोड़ दे तो संकट के हालात नहीं रहेंगे। एेसा नहीं किया तो गर्मी में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। इस पर अब तक ध्यान नहीं दिया।
पीकेगुप्ता, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग


दस दिन पहले ही बीस पाइंटों को जोडऩे की लिस्ट भेजी। पुरानी लाइनों से कहां जोडऩा है पहले बताया नहीं। मौके पर खड़े होकर जलदाय विभाग के अभियंता बताते नहीं। दोनों विभाग के अधिकारी साइड पर खड़े रहे तो स्थिति में सुधार हो सकता है।
डीके मित्तल, अधीक्षण अभियंता, चम्बल परियोजना