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नलों से पानी भरना पाताल से लेकर आने जैसा काम

लोगों ने बताई समस्या, कई जगह भरपूर पानी, कहीं हौद में उतरने की मजबूरी

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Water crisis in bhilwara

Water crisis in bhilwara

भीलवाड़ा।
आप कह रहे हैं सौ करोड़ खर्च हो गए और 95 फीसदी काम पूरा हो गया। यह शहर की सबसे बड़ी समस्या है। आज सच जानने आए हैं तो आपकी पोल खुल गई। कुछ इसी तरह की नाराजगी स्थाई लोक अदालत के सदस्यों ने शहर में पेयजल व्यवस्था का जायजा लेने के बाद जताई। चम्बल परियोजना के आने के बाद भीषण गर्मी में दबाव से पानी नहीं आने और कई इलाकों में पर्याप्त पानी नहीं मिलने के परिवाद पर जांच के लिए सदस्य शहर के दौरे पर थी।

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स्थायी लोक अदालत सदस्य प्रहलादराय व्यास और वंदना चौखड़ा ने परिवादी अधिवक्ता आजाद शर्मा के साथ सुबह साढ़े छह बजे जलापूर्ति के दौरान कई इलाकों में जाकर पेयजल के हालात देखे। इस दौरान चम्बल परियोजना के सहायक अभियंता किशन खटीक व प्रोजेक्ट मैनेजर आलोक श्रीवास्तव भी साथ थे। ऐसा पहलीबार हुआ कि जलसंकट का सच जानने के लिए चंबल परियोजना के अधिकारियों को साथ लेकर सदस्य हालात जाने गए।

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पुराने भीलवाड़ा के कई इलाके एेसे भी मिले जहां हौद से बाहर निकल कर पानी बह रहा था। रोजाना सप्लाई और प्रेशर से पानी आने से पेयजल बह रहा था। लोग नल खुला छोड़ रहे हैं। इससे भूमिगत टैंक भरने के बाद पानी सड़कों पर बहता रहता है। यहां जलदाय विभाग ने कनेक्शन पर टूटियां लगवाने जरूरत नहीं समझी। दौरे के जलदाय विभाग और चम्बल परियोजना अधिकारियों में आपसी समन्वय की कमी देखी गई। इसके चलते समस्या बढ़ गई।


स्थाई लोक अदालत ने इससे पहले बुधवार शाम को चम्बल परियोजना अधिकारियों के साथ जाकर सुखाडि़या नगर में जलापूर्ति की स्थिति देखी। वहां प्रेशर के साथ दूसरी मंजिल तक पानी पहुंच रहा था। गौरतलब है कि अधिवक्ता आजाद शर्मा ने शहर की जल समस्या को लेकर स्थाई लोक अदालत में परिवाद पेश कर रखा है।स्थायी लोक अदालत के सदस्य इस परिवाद की सुनवाई के तहत ही शहर की पेयजल व्यवस्था का निरीक्षण करने निकले थे।

ऐसे उतरते हैं पानी भरने...
शहीद चौक के निकट गुरुवार को स्थाई लोक अदालत के सदस्यों के दौरे के दौरान एक महिला अपने घर के बाहर बने हौद में उतर कर ये बताती हुई कि इतने गहरे उतरते हैं, तब जाकर पानी मिलता है।

छह फीट हौद में उतरी, फिर भरकर दिखाया पानी
शहीद चौक में पैंसठ वर्षीय संतोष भदादा ने लोक अदालत के सदस्यों को बताया कि उनके घर के बाहर छह फीट गहरा हौद है। गहरे हौद में उतरे बिना पानी भरना सम्भव नहीं है। महिला का कहना था कि हमारे लिए तो पाताल से पानी लाने जैसा काम है। टीम ने जूनावास, बैरवा मोहल्ला, माली खेड़ा, शास्त्रीनगर स्थित न्यू हाउसिंग बोर्ड समेत कई इलाकों की जलापूर्ति की स्थिति देखी। न्यू हाउसिंग बोर्ड इलाके में आज भी लोग पर्याप्त पानी नहीं आने से खारे पानी पर निर्भर हो रहे है।


राजस्थान पत्रिका ने बताया था- कुप्रबंधन से प्यासा है शहर
गत दिनों राजस्थान पत्रिका ने शहर के पेयजल संकट पर एक समाचार प्रकाशित किया था। इसमें बताया था कि 145 किलोमीटर दूर से ले आए पानी लेकिन अफसरो के कुप्रबंधन से शहर प्यासा है। इस खबर में बताया था कि आधे शहर को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा। इसमें जलदाय विभाग व चम्बल परियोजना के अधिकारियों में तालमेल की कमी को उजागर किया था। पत्रिका लगातार समाचार श्रृंखला चलाकर चम्बल का पानी आने के बाद भी शहर में उत्पन्न जलसंकट के हालात से प्रशासन का ध्यान आकर्षित कर रहा है।