
भिण्ड. मेरे हास्यभरे अभिनय को देखकर जब लोग पूरे तन-मन से खिलखिला उठते हैं तब मानो असली मेहनताना मिल जाता है। खुद जोकर बनकर दूसरों को हंसाना मेरे लिए परम आनंद है। यह बात फिल्म अभिनेता राजपाल यादव ने पत्रिका के इस सवाल के जवाब में कही कि अभिनय में महारथी होते हुए भी वह हास्य के ही किरदार क्यों अदा करते हैं।
राजपाल यादव गुरुवार शाम 5 बजे नेशनल हाइवे किनारे ग्राम डिड़ी के पास स्थित एक होटल के उद्घाटन समारोह में आए थे। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड हो या हॉलीवुड सभी जगह हास्य की मांग है। हास्य भरी फिल्में देखने से लोगों का तनाव कम होता है तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता।
नाम को लेकर चलोगे तो..
यादव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मैं चार शब्द लेकर चला था, परिश्रम, संस्कार, आचरण एवं त्याग। यही सफलता की कुंजी है। मुझे नहीं मालूम सफलता किसे कहते हैं और किसे असफलता कहते हैं। किसको इज्जत कहते हैं किसको बेइज्जत कहते हैं। लोग कहते हैं आपकी बड़ी पहचान है। मैं उस पहचान के दर्शन करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि कीचड़ और झींगुरों के बीच बंधे जानवरों में खेलता था तब भी मैं बड़ा आदमी था। कर्म महान होता है।
बोझ तले कुचलकर रह जाओगे
राजपाल यादव ने कहा कि हम कर्म करते हैं तो नाम बड़ा होते ही कर्म छोटा हो जाता है। फिर आप नाम के पीछे रहते हैं। नाम लेकर चलोगे तो नाम के बोझ के तले दबकर कुचल जाओगे। कर्म आपका प्राउड है। हम सब एक देव के लोग हैं। मैं उस नाम का पुजारी हूं जिसने मानव रचना की। उन्होंने कहा छोड़ दो अपने आपको एक मेहमान बन जाओ। 100 साल जियो सवा सौ साल जियो। वडोदरा से आए स्वामी रामप्रसाद ने कहा कि आप हमेशा स्वस्थ्य, व्यस्त और मस्त रहो। बिना वजह भी मुस्कुराना सीख लोगे तो आनंद ही आनंद रहेगा।
Published on:
26 Feb 2021 09:15 am
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