भिंड

नहरों से पर्याप्त पानी नहीं, पलेवा स्वयं कर रहे किसान, समय व धन बर्बाद

गेहूं की बोवनी किसानों ने शुरू कर दी है, लेकिन नहरों से उम्मीद के अनुरूप पानी नहीं मिल पा रहा है। पलेवा से वंचित किसान निजी नलकूपों से एक किलोमीटर तक पाइप लाइन डालकर खेतों में पलेवा कर रहे हैं ताकि गेहूं की बोवनी कर सकें। वहीं जो किसान सरसों की बोवनी कर चुके हैं और अंकुरण हो चुका है, वे भी फसल की वृद्धि के लिए पानी लगा रहे हैं।

2 min read
Nov 08, 2023
-खेत में स्वयं पलेवा करते किसान।

भिण्ड. जहां नहरों से खेतों तक पानी पहुंचाने का सीधा प्रबंध नहीं है, वहां पंचायतों के माध्यम से कूलें खोदने की बात कही गई थी, लेकिन पंचायतों ने इसमें सहयोग नहीं किया और कई गांवों में नहरों का पानी नहीं पहुंच पाया। बता दें कि जिले में नहरों के माध्यम से पानी एक नवंबर को छोड़ा गया है जबकि सरसों की अधिकांश बोवनी इसके पहले ही हो चुकी है। तापमान अधिक होने से करीब 25 हजार हैक्टेयर में खेतों में अधिक तापमान की वजह से अंकुरण नहीं हो पाया था, यहां किसानों ने या तो दोबारा बोवनी की है या फिर गेहूं की बोवनी की तैयारी कर ली है। बीएमसी में अभी पानी नहीं आया है, इसलिए लावन की नहर के आसपास के क्षेत्र में किसान नलकूपों से पानी लगा रहे हैं। किसान जुगलकिशोर शर्मा का कहना है कि पहले तो क्षेत्र में नहरों का ही अभाव है, जो नहरें हैं उनमें मांग के अनुरूप पानी नहीं मिलता। जो पानी आता है वह अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पाने से किसानों को सिंचाई और पलेवा के लिए परेशान होना पड़ता है। वहीं भिण्ड से फूप तक, अटेर रोड पर प्रतापुपरा तक नहरों से पानी नहीं मिल पाता है। वहीं ऊमरी क्षेत्र में नहरों से ज्यादा पानी नहीं मिल पाता है।
पलेवा और एक पानी की घोषणा है
जल संसाधन विभाग ने नहरों के माध्यम से पलेवा एवं एक पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध कराने की घोषणा की है। इसके लिए एक लाख 57 हजार 654 हैक्टेयर रकवा निर्धारित किया गया है। लेकिन किसानों का कहना है कि दावे के अनुसार पानी मिल नहीं पा रहा है। इसलिए किसानों को नलकूपों को समय से पहले ही चालू करना पड़ेगा। कृषि फीडर पर बिजली कंपनी 10 घंटे सिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध करवा रही है। इसलिए किसान उसी समय में खेतों में पलेवा व सिंचाई का कार्य कर रहे हैं।
50 प्रतिशत भी सिंचाई नहीं होती नहरों से
जिले में रबी सीजन में ही नहरों से पानी की आवश्यकता पड़ती है। रबी की बोवनी का रकवा चालू वर्ष के लिए करीब 3.50 लाख हैक्टेयर रखा गया है। हालांकि इसमें 2.20 लाख हैक्टेयर के करीब सरसों का ही लक्ष्य है, लेकिन पलेवा का पानी तो सरसों में भी लगता है। जबकि नहर से पानी की घोषणा की गई उसमें गेहूं व सरसों सहित कुल रबी का रकवा शामिल है। ऐसे में किसानों का कहना है कि किसानों को 80 प्रतिशत तक नलकूपों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। नहरों से तो सरसों के लिए उपलब्धता के आधार पर पलेवा व एक सिंचाई का पानी ही मिल पाएगा।
फैक्ट फाइल
3.50 लाख हैक्टेयर है रबी में बोवनी का लक्ष्य।
2.20 लाख हैक्टेयर में सरसों की बोवनी है प्रस्तावित।
1 लाख हैक्टेयर में गेहूं की बोवनी का भी लक्ष्य है।
25 हजार हैक्टेयर के करीब अन्य दलहनी फसलें बोई जाएंगी।
157654 हैक्टेयर में रबी में सिंचाई के दो पानी का लक्ष्य है।
कथन-
हमारे गांव में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है। सिंचाई विभाग वालों को हमने कहा था कि नहर से गांव तक कूल खुदवाई जाए, पैसे लेकर चले गए, लेकिन काम नहीं हुआ। इसलिए सिंचाई नहीं हो पाती, अच्छी सडक़ तक नहीं है।
पूरन सिंह नरवरिया, किसान ग्राम विजयपुरा, मेहागंव।
-पानी तो उपलब्धता के आधार पर ही दिया जाता है और इसके लिए पूरी समिति बैठकर निर्णय करती है। जिले में ज्यादातर सिंचाई निजी नलकूपों पर ही निर्भर रहती है। अभी पलेवा के लिए पानी दिया जा रहा है, जहां उपलब्धता नहीं है, वहां किसान निजी साधनों से व्यवस्था करते हैं।
रामसुजान शर्मा, उप संचालक कृषि, भिण्ड।

Published on:
08 Nov 2023 09:19 pm
Also Read
View All

अगली खबर