
भिण्ड. भिण्ड के शहद की मिठास अब हरिद्वार, पुणे से होते हुए विदेशों तक पहुंच रही है। पिछले पांच साल से मौसम की मार झेल रहे मधुमक्खी पालक किसानों को इस वर्ष बेहतर मुनाफे की उम्मीद जगी है। कारण है—इस बार कोहरा और कड़ाके की ठंड का असर कम रहना, जिससे मधुमक्खियां नियमित रूप से बक्सों से निकलकर सरसों के फूलों से पराग एकत्र कर रही हैं और भरपूर शहद उत्पादन कर रही हैं।
देश की नामी कंपनियां काश्मीर हनी, केजरीवाल, पतंजलि और डाबर सीधे किसानों से संपर्क कर 70 से 80 रुपए प्रति किलो की दर से शहद की खरीद कर रही हैं। यही शहद प्रोसेसिंग और पैकेजिंग के बाद नेपाल, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों तक सप्लाई किया जा रहा है। इससे न केवल किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है, बल्कि ग्रामीण अंचलों में हजारों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
जिले में इस बार 200 से अधिक किसान शहद उत्पादन में जुटे हैं। सभी मधुमक्खी केंद्र सरसों की फसल के बीच लगाए गए हैं। परागण की प्रक्रिया से शहद उत्पादन के साथ-साथ सरसों की पैदावार में भी करीब 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो रही है। जिन पौधों में पहले फली नहीं आती थी, वहां भी अब उत्पादन नजर आने लगा है। इसी वजह से किसान सरसों के खेतों के बीच मधुमक्खी केंद्र लगवाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
गत वर्ष नवंबर से ही कोहरा छा जाने के कारण मधुमक्खियां बक्सों से बाहर नहीं निकल पाई थीं। ऐसे में कारोबारियों को रोजाना करीब 100 किलो शक्कर का घोल खिलाना पड़ा, जिससे लागत बढ़ गई और मुनाफा नहीं हो सका।
बिहार से आए डेरा संचालक राजकुमार मांझी बताते हैं कि इस बार हालात पूरी तरह बदले हुए हैं। मधुमक्खियां न सिर्फ खुद भोजन जुटा रही हैं, बल्कि शहद का अच्छा उत्पादन भी कर रही हैं। पिछले साल मजदूरी तक नहीं निकल पाई थी, लेकिन इस बार अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है।
बिहार के किसान पिछले 22 वर्षों से भिण्ड में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं और अब स्थानीय किसान भी बड़ी संख्या में इससे जुड़ चुके हैं। एक बॉक्स से पूरे सीजन में औसतन 20 से 25 किलो शहद प्राप्त होता है। एक डेरा में लगे 200 बॉक्स से किसान 6 टन तक शहद उत्पादन कर लेता है, जिसकी बाजार कीमत करीब 5 लाख रुपए तक होती है।
केंद्र संचालक गिर्राज सिंह गुर्जर (राऊपुरा) का कहना है कि इस बार दिन में धूप निकलने और सरसों की अच्छी फसल के कारण मधुमक्खियां सक्रिय हैं और लगातार छत्तों में शहद जमा कर रही हैं।
“इस साल मौसम मधुमक्खी पालन के अनुकूल है। भिण्ड के किसान बाहर की कंपनियों को शहद बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अब भिण्ड का शहद विदेशों तक पहचान बना रहा है।”
— गंभीर सिंह तोमर, उप संचालक, कृषि उद्यानिकी विभाग, भिण्ड
Updated on:
17 Dec 2025 07:01 pm
Published on:
17 Dec 2025 07:00 pm
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