
हरियाणा शिक्षा बोर्ड का नया फैसला, अब 8वीं कक्षा के छात्रों का भी होगा एनरोलमेंट
भिवानी। हरियाणा में हो रही शिक्षा की बंदरबांट पर रोक लगाने के लिए बोर्ड ने अपनी कमर कस ली है। बोर्ड फर्जी छात्रों की पहचान कर रहा है जो 8वीं किसी अन्य राज्य से फर्जी तरीके से करके हरियाणा में 9वीं में दाखिला लेकर यहां से एनरोलमेंट करवा लेता है। जिससे शिक्षा के व्यापारीकरण को बल मिल रहा था। इस व्यापारीकरण को खत्म करने के उद्देश्य से बोर्ड अब 8वीं के छात्रों का भी एनरोलमेंट करेंगा। इससे अब फेक दाखिला लेने वाले छात्रों को मुश्किल होगी। यह जानकारी हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड चेयरमैन डॉ. जगबीर सिंह ने दी।
अब तक बोर्ड 9वीं 11 व 12वीं के छात्रों का एनरोलमेंट होता था, जिससे छात्र 8वीं कक्षा किसी अन्य स्कूल व स्टेट के बोर्ड से पास का सर्टिफिकेट लेकर 9वीं में दाखिला ले लेता था। दूसरा अगर सरकार इस बार से ही 8वीं कक्षा में बोर्ड लागू करने के आदेश देता है तो बोर्ड को सहूलियत होगी तथा इस बार से ही वह छात्रों के रोल नबंर जारी करके बोर्ड की परीक्षा ले लेगा।
वहीं, 8वीं कक्षा के पेपर भी हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा करवाने की सोच रहा है लेकिन अभी सरकार द्वारा आदेश न मिल पाने के कारण बोर्ड लागू नहीं हो पाया है। अगर सरकार की ओर से आदेश आते है तो बोर्ड तुरंत आठवीं के बच्चों के रोल नंबर जारी कर देंगे। पहले बोर्ड दसवीं व बारहवीं की ही परीक्षा लेता है। अब अगर सरकार आरटीई के नियमों में बदलाव करती है तो बोर्ड को आठवीं की परीक्षा लेने का अधिकार मिल जाएगा।
विश्वविद्यालय स्टाफ पढ़ा रहा है 'क' कबूतर 'ख' खरगोश
जींद। इन दिनों जींद के चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में स्टाफ 'क' कबूतर 'ख' खरगोश पढ़ा रहे है। विश्वविद्यालय स्टाफ यहां के छात्रों को नही बल्कि यहां काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को ये तालीम दे रहे है। तालीम लेने वाले बच्चे चंद दिनों में ही अब पढ़ाने वाले स्टाफ को बोलेने लगे है कि गुड मोर्निंग सर, कैसे हैं आप।
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में चलाए जा रहे अंत्योदय स्कूल में पढऩे वाले उन बच्चों का है जिनके माता पिता ने कभी सपने में भी नही सोचा होगा कि उनके बच्चे पहले ही पड़ाव पर विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करेंगे। यहां विश्वविद्यालय में ही काम करने वाले श्रमिकों के लगभग 35 बच्चे प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और विश्वविद्यालय में ही पढऩे वाले छात्रों तथा स्टाफ द्वारा ही उन्हें प्राथमिक शिक्षा दी जा रही है। इनकी मेहनत का ही नतीजा है कि अब इन बच्चों के सपनों को भी पंख लगने लगे हैं और वो भी बड़े होकर डॉक्टर, अध्यापक या फिर देश की सेवा करने का सपना देखने लगे हैं। विश्वविद्यालय की मदद और बच्चों का हौंसला अब इन बच्चों को आगे बढऩे का मौका दे रहा है।
मिट्टी में खेलने वाले बच्चे ले रहे किताबी ज्ञान
कुछ समय तक मिट्टी में खेलने वाले बच्चे अब किताबी ज्ञान लेेने लगे हैं। चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय ने इन बच्चों को किताबी ज्ञान दिलाने के लिए अहम भूमिका निभाई और विश्वविद्यालय में ही इन बच्चों के लिए अंत्योदय स्कूल खोल दिया। शुरू-शुरू में इन बच्चों को बैठाए रखना जैसे नाकों चने चबाना था।
धीरे-धीरे इन बच्चों को पढ़ाने वाले विश्वविद्यालय स्टाफ तथा छात्रों ने इन बच्चों में प्यार की भावना जागृत की और इन्हें अपने बड़ों का कहना मानना समझाया। प्यार से बच्चों ने भी बात सुनी और आज यह बच्चे प्राथमिक ज्ञान अर्जित कर रहे हैं और केवल 10 बच्चों से शुरू हुआ यह स्कूल 35 बच्चों तक जा पहुंचा है।
Published on:
19 Jun 2018 11:18 pm
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