कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम और तहसीलदार व अन्य राजस्व कोर्ट में नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, व्यपवर्तन, अभिलेख दुरुस्तीकरण व अन्य के केस पेंडिंग हैं। जानकार बताते हैं कि जिले में जितना अमला है, वह डेढ़ महीने भी लगकर काम करे तो इतने केस नहीं निपट सकते। इसमें से नामांतरण के काफी विवादित केस भी होते हैं। जिसमें दोनों पार्टी के नाम के विवाद के चलते कई बार पुराने खसरे निकालने पड़ते हैं।
30 दिन की है समय सीमा
अविवादित नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, रास्ता विवाद, आवासीय पट्टे के आवेदन की समय सीमा 30 दिन तय की गई है। काम न होने पर 250 रुपए का फाइन लगता है। अभी अविवादित काम समय सीमा में हो रहे हैं, लेकिन विवादित काम अटक रहे हैं। इन दिनों वैक्सीनेशन में भी अमला काफी व्यस्त है।
अविवादित नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, रास्ता विवाद, आवासीय पट्टे के आवेदन की समय सीमा 30 दिन तय की गई है। काम न होने पर 250 रुपए का फाइन लगता है। अभी अविवादित काम समय सीमा में हो रहे हैं, लेकिन विवादित काम अटक रहे हैं। इन दिनों वैक्सीनेशन में भी अमला काफी व्यस्त है।
दो बार आवेदन किए पर काम नहीं हुआ
हनी मैथिल निवासी कोलार ने जनसुनवाई में जमीन का नामांतरण न होने की शिकायत की। मैथिल ने बताया कि 23 मार्च को लोकसेवा गारंटी केंद्र में 140 रुपए जमा भी किए थे। इसके बाद एक और आवेदन सितंबर में किया था। तभी से चक्कर काटकर परेशान हूं लेकिन काम नहीं हो रहा। आवेदन कोलार तहसील में जाकर निरस्त हो रहा है।
हनी मैथिल निवासी कोलार ने जनसुनवाई में जमीन का नामांतरण न होने की शिकायत की। मैथिल ने बताया कि 23 मार्च को लोकसेवा गारंटी केंद्र में 140 रुपए जमा भी किए थे। इसके बाद एक और आवेदन सितंबर में किया था। तभी से चक्कर काटकर परेशान हूं लेकिन काम नहीं हो रहा। आवेदन कोलार तहसील में जाकर निरस्त हो रहा है।
हर बार 5 हजार वर्गफीट जमीन हो रही कम
आशा निवासी सूखी सेवनिया ने बताया कि उनकी दस हजार वर्गफीट जमीन सूखी सेवनिया में है। इसका नामांतरण भी उनके नाम पर है लेकिन पोर्टल पर जमीन 5 हजार वर्गफीट ही दिखाती है। इसमें सुधार कराने के लिए उन्हें हुजूर तहसील के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। दो साल पूर्व रिकॉर्ड दुरुस्त कराया, लेकिन फिर से पोर्टल पर जमीन कम हो गई।
आशा निवासी सूखी सेवनिया ने बताया कि उनकी दस हजार वर्गफीट जमीन सूखी सेवनिया में है। इसका नामांतरण भी उनके नाम पर है लेकिन पोर्टल पर जमीन 5 हजार वर्गफीट ही दिखाती है। इसमें सुधार कराने के लिए उन्हें हुजूर तहसील के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। दो साल पूर्व रिकॉर्ड दुरुस्त कराया, लेकिन फिर से पोर्टल पर जमीन कम हो गई।