scriptतीन माह में 2500 केस निपटे, 6700 केस लंबित | 2500 cases settled in three months, 6700 cases pending | Patrika News

तीन माह में 2500 केस निपटे, 6700 केस लंबित

locationभोपालPublished: Oct 16, 2021 01:02:44 am

Submitted by:

Rohit verma

नामांतरण, सीमांकन, बंटान को लेकर आम आदमी परेशान, दफ्तरों के लगा रहे चक्कर

तीन माह में 2500 केस निपटे, 6700 केस लंबित

तीन माह में 2500 केस निपटे, 6700 केस लंबित

भोपाल. कोरोना की दूसरी लहर के बाद राजस्व केसों की पेंडेंसी पहली लहर के मुकाबले ज्यादा बढ़ गई थी। जून के बाद अक्टूबर के पहले सप्ताह तक करीब ढाई हजार से ज्यादा केसों का निपटारा कर दिया गया। इसके बाद भी 6 हजार 700 प्रकरण पोर्टल पर लंबित दिख रहे हैं। इनको लेकर आम आदमी परेशान हो रहा है। अब ये मामले जनसुनवाई में भी आना शुरू हो गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि नामांतरण, सीमांकन के विवादित मामलों में ही देरी होती है, ऐसे में प्रकरण छह माह की सूची में चला जाता है। इस बार अवैध कॉलोनियों के खिलाफ अलग-अलए एसडीएम कोर्ट में चल रही सुनवाई के काफी केस कोर्ट में अटके हैं। इस कारण भी तहसीलों में भीड़ बढ़ी हुई है।
कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम और तहसीलदार व अन्य राजस्व कोर्ट में नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, व्यपवर्तन, अभिलेख दुरुस्तीकरण व अन्य के केस पेंडिंग हैं। जानकार बताते हैं कि जिले में जितना अमला है, वह डेढ़ महीने भी लगकर काम करे तो इतने केस नहीं निपट सकते। इसमें से नामांतरण के काफी विवादित केस भी होते हैं। जिसमें दोनों पार्टी के नाम के विवाद के चलते कई बार पुराने खसरे निकालने पड़ते हैं।

30 दिन की है समय सीमा
अविवादित नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, रास्ता विवाद, आवासीय पट्टे के आवेदन की समय सीमा 30 दिन तय की गई है। काम न होने पर 250 रुपए का फाइन लगता है। अभी अविवादित काम समय सीमा में हो रहे हैं, लेकिन विवादित काम अटक रहे हैं। इन दिनों वैक्सीनेशन में भी अमला काफी व्यस्त है।
दो बार आवेदन किए पर काम नहीं हुआ
हनी मैथिल निवासी कोलार ने जनसुनवाई में जमीन का नामांतरण न होने की शिकायत की। मैथिल ने बताया कि 23 मार्च को लोकसेवा गारंटी केंद्र में 140 रुपए जमा भी किए थे। इसके बाद एक और आवेदन सितंबर में किया था। तभी से चक्कर काटकर परेशान हूं लेकिन काम नहीं हो रहा। आवेदन कोलार तहसील में जाकर निरस्त हो रहा है।
हर बार 5 हजार वर्गफीट जमीन हो रही कम
आशा निवासी सूखी सेवनिया ने बताया कि उनकी दस हजार वर्गफीट जमीन सूखी सेवनिया में है। इसका नामांतरण भी उनके नाम पर है लेकिन पोर्टल पर जमीन 5 हजार वर्गफीट ही दिखाती है। इसमें सुधार कराने के लिए उन्हें हुजूर तहसील के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। दो साल पूर्व रिकॉर्ड दुरुस्त कराया, लेकिन फिर से पोर्टल पर जमीन कम हो गई।
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