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खुले में पड़ा 67 हजार टन धान भीगा, दस दिन में सिर्फ 3 हजार टन धान गोदाम में पहुंचा

- जिन कंपनियों को दिया था परिवहन का ठेका वो नहीं उठा रही धान

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भोपाल

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Ashok Gautam

Dec 15, 2019

खुले में पड़ा 67 हजार टन धान भीगा, दस दिन में सिर्फ 3 हजार टन धान गोदाम में पहुंचा

खुले में पड़ा 67 हजार टन धान भीगा, दस दिन में सिर्फ 3 हजार टन धान गोदाम में पहुंचा

भोपाल। प्रदेश में मावठा और बारिश की आशंका के बाद भी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम और को-आपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ने 67 हजार टन धान नहीं उठाया। दो दिन में हुई बारिश और ओले पडऩे से खरीदी केन्द्रों और समितियों पर खुले में पड़ा हजारों टन धान भीग गया। समितियों और खरीदी केन्द्रों पर बारिश से बचाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण ट्रेक्टर ट्राली में धान भर कर जो किसान उसे बेंचने लेकर आए थे वह भी भीग गया है।


प्रदेश में पिछले दस दिन से करीब पांच सौ खरीदी केन्द्रों पर अब तक 70335 टन धन की खरीदी हुई है। इसमें से मात्र अभी तक 3306 लाख टन धान का ही परिवहन हो पाया है। जबकि सरकार ने समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदी पॉलिसी में 48 घंटे के अंदर अनाज परिवहन करने का प्रावधान किया है।

तय समय सीमा में अनाज परिवहन नहीं करने पर परिवहनकर्ता कंपनी पर कार्रवाई करने का प्रावधान है। इसके बाद भी खरीदी के दस दिन के बाद भी धान का परिवहन नहीं हो रहा है। अब तो बारिश होने के बाद कई गोदामों और खरीदी केन्द्रों के आस पास और पहुंच मार्गों में पानी और कीचड़ होने के कारण वहां तक वाहन ले जाना मुश्किल हो रहा है।

सहकारिता विभाग ने बुलाई जानकारी

सहकारिता विभाग ने सभी समितियों से खरीदी केन्द्रों पर बारिश से भीगे धान के संबंध में जानकारी मांगी है। विभाग ने खरीदी करने वाली एजेंसी नान और मार्कफेड को भी कहा है कि वे धान का परिवहन समय सीमा में करें। खरीदी के बाद अगर धान की मात्रा में कमी, गड़बड़ी अथवा बारिश के चलते खराब होने की शिकायत मिलती है तो उसकी जिम्मेदारी समितियों की नहीं होगी।

क्योंकि इस तरह के मुद्दे धान खरीदी से पहले भी सहकारिता विभाग सरकार के समक्ष उठा चुका है। पिछले पांच साल के धान,गेहूं सहित अन्य अनाज की कमी के संबंध में समितियों ने खाद्य विभाग पर साढ़े 4 सौ करोड़ रुपए का क्लेम कर चुका है।

नहीं हो रहा है किसानों का भुगतान

धान का परिवहन नही होने के कारण लाखों किसानों का भुगतान भी रुका हुआ है। जबकि तक धान गोदामों में नहीं पहुंचेगा तक तक उनका भुगतान नहीं हो पाएगा। किसान धान बेंचने के बाद भुगतान के लिए सहकारी समितियों के चक्कर लगा रहे हैं। धान बेंचने के दस दिन बाद भी एक पैसा नहीं मिलने से किसानों के सामने आर्थिक संकट भी पैदा हो गया है, क्योंकि धान बेंचने के बाद उसी पैसे से वे खाद-बीज का भुगतान करने वाले थे।

सिर्फ आठ जिलों में शुरू हुआ धान का परिवहन

खरीदी के बाद धार का परिवहन सिर्फ दस दिन में ही हो पाया है। 4२ जिलों में धान का परिवहन नहीं हो पाया है। प्रमुख सचिन ने सभी जिलों के अधिकारियों को जल्दी से धान परिवहन करने के निर्देश दिए हैं। समय पर परिवहन नहीं करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी कहा गया है। बताया जाता है कि होशंगाबाद जिले में नेफेड ही धान की खरीदी कर रहा है यहां भी अभी तक धान गोदामों तक नहीं पहुंच पाया है। खरीदी केन्द्रों पर खुले आसमान के नीचे 51 हजार टन धान पड़ा हुआ है।

बीस जिलों में गोदाम की समस्या

प्रदेश के 20 से अधिक जिलों में धान भंडारण करने के लिए पर्याप्त बंद गोदाम नहीं हैं। इन जिलों में धान मंडारण के लिए अभी तक खुल कैप में धान रखना पड़ेगा या फिर गोदामों में रखने के लिए दूसरे जिलों तक धान का परिवहन करना पड़ेगा। इससे सरकार पर परिवहन का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा। पिछले सालों के 80 लाख टन गेहूं, चना, मसूर, धान और सरसो सहित अन्य अनाज भंडारण होने से गोदाम खाली नहीं है। धान रखने की सबसे ज्यादा समस्या जबलपुर, बालाघाट, रीवा, सीधे भोपाल, सीहोर सहित अन्य जिलों में आ रही है।