भोपाल

सरकारी ऑफिसों में 70% लोग मोबाइल बैंकिंग से कर रहे ट्रांजेक्शन, बिजली कंपनी सबसे आगे

-सरकारी कार्यालयों में भी 70 फीसदी लेनदेन अब मोबाइल ऐप से-कैश हैंडलिंग के रोजाना तीन घंटे बच रहे

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Jan 10, 2023
mobile banking

भोपाल। बिल भुगतान समेत अन्य लेनदेन में भोपाल काफी बदल गया है। बिजली कंपनी, नगर निगम, गारंटी केंद्र जैसे आम जनता से लेन देन से जुड़े विभागों में 60 फीसदी बिल व शुल्क अब ऑनलाइन जमा हो रहा है। इस मामले में बिजली कंपनी सबसे अव्वल है। यहां दिसंबर 2022 तक 90 फीसदी भुगतान ऑनलाइन हो गया। जबकि 80 फीसदी दुकानदारों ने लेन देन के इस नवाचार को अपना लिया है। ये रोजाना के तीन घंटे बचा रहे हैं।

60 फीसदी तक ऑनलाइन भुगतान कई विभागों में

बिजली कंपनी की ही बात करें तो अब बिल जमा करने लोग कंपनी कार्यालयों में लाइन नहीं लगा रहे। नए कनेक्शन से लेकर अन्य तरह के शुल्क जमा भी ऑनलाइन ही किए जा रहे। नगर निगम और इसी तरह के विभागों में भी शुल्क व चार्ज 60 फीसदी तक ऑनलाइन यानि मोबाइल बैंकिंग से ही है। निगम ने बीते दो साल में ऑनलाइन भुगतान के लिए काफी प्रयास किए अब बीएमसी ऑनलाइन पर ये भुगतान एक साल में 30 फीसदी तक बढ़े हैं। संबंधित विभागों से प्राप्त जानकारी में ये स्थिति सामने आई। शहर की बदलती आर्थिक स्थिति पर तैयार एक रिपोर्ट के अनुसार शहर के 70 हजार दुकानदारों में से 80 फीसदी अब कैश जमा करने बैंक नहीं जाते।

900 रुपए बचने लगे

चौक बाजार से जुड़े दुकानदार मनीष अग्रवाल का कहना है कि ये एक बड़ा बदलाव है। कुछ साल पहले रोजाना कम से कम तीन घंटे इस काम में लगते थे। अलग से एक कर्मचारी रखना होता था। कैश हैंडलिंग पर ही रोजाना 700 से 900 रुपए तक खर्च हो जाते थे। अब ये लगभग बचने लगा है।

21 करोड़ खर्च

रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार 2014 तक देश में कैश हैंडलिंग पर 21 हजार करोड़ रुपए का बड़ा खर्च होता था, अब इसमें कमी आ रही है। यानि अब भोपाल समेत देशभर में ई- ट्रांजेक्शन आम से लेकर खास तक का समय और खर्च बचा रहा है।

दिल्ली में छह मिलियन घंटे लगते थे कैश हैंडलिंग पर

कै श हैंडलिंग किस तरह समय और दाम दोनों ही खर्च कराता था उसे हम दिल्ली व हैदराबाद पर आई रिपोर्ट से समझ सकते हैं। दिल्ली में कैश हैंडलिंग में 6 मिलियन घंटे का समय और 9.2 करोड़ रुपए खर्च होते थे। इसी तरह हैदराबाद में 1.7 मिलियन घंटे ओर 3.2 करोड़ रुपए का खर्च होता था। अब यहां स्थिति बदल रही है। ये 2017 की स्थिति थी।

Published on:
10 Jan 2023 03:18 pm
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