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MP को बड़ी सौगात, राज्य के 4 पुलिस अधिकारियों को बनाया IPS

IPS- IPS कैडर के लिए चुने गए राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी, गृह मंत्रालय ने बुधवार को जारी किया नोटिफिकेशन

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4 MP police officers to get major responsibilities along with IPS cadre award

IPS award 2025 State Police Service 4 officers Promotion (फोटो सोर्स : पत्रिका क्रिएटिव)

IPS- मध्यप्रदेश के लिए 24 दिसंबर का दिन प्रशासनिक लिहाज से बेहतर साबित हुआ। इस दिन प्रदेश को नए IPS अधिकारी मिले। प्रदेश के राज्य पुलिस सेवा यानि एसपीएस के 4 अधिकारियों को आईपीएस IPS कैडर अवॉर्ड मिला है। एसपीएस अधिकारी आशीष खरे, विक्रांत मुरब, सुरेंद्र कुमार जैन और राजेश रघुवंशी को ये कैडर दिया गया है। 1997 और 1998 बैच के इन अफसरों को एक साल तक परिवीक्षा अवधि में रखा जाएगा। IPS कैडर अवॉर्ड के लिए 21 नवंबर को डीपीसी हुई थी जिसमें 15 नामों पर विचार किया गया था। वरिष्ठता सूची में जिन 2 अधिकारियों के नाम सबसे ऊपर थे वे विभिन्न कारणों से IPS अवॉर्ड से वंचित रह गए हैं।

राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को आईपीएस के लिए पदोन्नत करने के लिए 21 नवंबर को डीपीसी की बैठक में कुल 15 नामों पर चर्चा की गई थी। इनमें अमित सक्सेना, अमृत मीणा, आशीष खरे, निमिषा पांडेय, मलय जैन, मनीषा पाठक सोनी, राजेश कुमार मिश्रा, विक्रांत मुरब, सुरेंद्र कुमार जैन, सुमन गुर्जर, सीताराम ससत्या, सव्यसाची सर्राफ, समर वर्मा, राजेश रघुवंशी और सत्येंद्र सिंह तोमर के नाम शामिल थे।

डीपीसी की इस बैठक में अधिकारियों के नामों पर अंतिम निर्णय लेकर सूची केंद्र को भेज दी गई थी। गृह मंत्रालय ने बुधवार को इसका नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें एमपी के राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी आशीष खरे, विक्रांत मुरब, सुरेंद्र कुमार जैन और राजेश रघुवंशी को आईपीएस अवॉर्ड देने की बात कही गई है।

सभी अधिकारी 2024 की डीपीसी में पदोन्नत

आशीष खरे, सुरेंद्र कुमार जैन और राजेश रघुवंशी 1998 बैच के राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी हैं जबकि विक्रांत मुरब 1997 बैच के हैं। चारों आईपीएस अवॉर्डी अधिकारी एक साल तक परिवीक्षा अवधि में रहेंगे। ये सभी अधिकारी 2024 की डीपीसी में पदोन्नत किए गए हैं।

जाति प्रमाण पत्र पर आपत्ति से प्रमोशन अटका

डीपीसी की वरिष्ठता सूची में सबसे ऊपर अमृत मीणा और सीताराम ससत्या का नाम था। मीणा के जाति प्रमाण पत्र पर आपत्ति से प्रमोशन अटक गया जबकि सीताराम ससत्या के प्रमोशन में विभागीय जांच बाधा बन गई।