भोपाल. कैशलेस ट्रांजेक्शन के दौर में पहचान के लिए आधार प्रमुख हथियार साबित हो रहा है। सरकार अब डिजिटल भुगतान के लिए आधार को ही बड़ा और सुरक्षित आधार बनाने जा रही है। संभव है आपका आधार नंबर डेबिट-क्रेडिट कार्ड नंबर बन जाए और थंब इंप्रेशन आपका पासवर्ड। मौजूदा समय में आधार ही सबकुछ बनने की स्थिति में है। तमाम नंबर और कार्ड आधार में ही एकीकृत होते नजर आ रहे हैं। जनसुनवाई तक में आधार अनिवार्य किया जा रहा है। यह स्थिति तब है, जब इसे हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया। मंत्री समूह ने जिसके बिल को नामंजूर कर दिया और हाईकोर्ट के पूर्व जज को खुद सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर आधार की अनिवार्यता को निजता हनन से जोड़ा गया। कोर्ट कचहरी में उलझा रहा आधार बीते दो साल में अहम बनकर उभरा है। मार्च 2016 में आधार टार्गेटेड डिलिवरी ऑफ फायनेंशियल एंड अदर सब्सिडिस, बेनिफिट्स एंड सर्विसेस एक्ट 2016 बनाया गया और इसमें भी इसे अनिवार्य की शर्त नहीं रखी, बावजूद इसके अब देश से लेकर विदेश तक इसके बिना कोई काम नहीं होता। गरीब को सरकारी दुकान से राशन लेना हो या फिर अमीर को बड़ा कोई ट्रांजेक्शन करना हो, आधार बिना काम नहीं चल रहा।