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इन बच्चों की आंखे नहीं पर टेस्ट से बता देते हैं कौन सी मिठाई खायी

भले ही उनकी आंखें नहीं हैं, लेकिन वे एक सामान्य व्यक्ति से कहीं ज्यादा संवेदनशील हैं। वे दिवाली का उजास हो या होली के विविध रंग, सभी को अपने मन की आंखों से महसूस करते हैं।

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Nitesh Tiwari

Oct 22, 2016

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भोपाल। भले ही उनकी आंखें नहीं हैं, लेकिन वे एक सामान्य व्यक्ति से कहीं ज्यादा संवेदनशील हैं। वे दिवाली का उजास हो या होली के विविध रंग, सभी को अपने मन की आंखों से महसूस करते हैं। हम बात कर रहे हैं आरुषि संस्था में रहने वाले उन दृष्टिबाधित बच्चों की, जिनकी आंखों में दिवाली की चमक अभी से है।


आरुषि के ये बच्चे संगीत, कम्प्यूटर, ब्रेल आदि की शिक्षा ले रहे हैं। ये बच्चे इतने संवेदनशील और समझदार हैं कि पटाखों की आवाज सुनकर यह बता देते हैं कि कौन सा बम फूटा। खाने के मामले में बहुत पारखी हैं। वे स्वाद से बता देते हैं कौन सी मिठाई है। उनके मन को टटोलो तो ऐसी कई आश्चर्यजनक बातें सामने आती हैं। ये सभी बच्चे दिवाली सेलिब्रेट करने के लिए तैयार हैं। ज्यादातर बच्चों को फुलझडिय़ां पसंद हैं। क्योंकि, पटाखों के छर्रे लगने का डर लगता है।

उनकी खुशियों में उनके भाई-बहन भी शामिल होते हैं, जो फुलझडिय़ां जलाकर उनके हाथ में थमा देते हैं। हाथ में आई फुलझड़ी को हवा में गोल-गोल घुमाने से जो खुशी मिलती है, उसका वर्णन वे शब्दों नहीं कर पाए। लेकिन, यह जरूर कहा कि सबसे ज्यादा अच्छा उसी समय लगता है।


जानिए क्या कहते हैं ये बच्चे

मुझे दिवाली पर मिठाई खाना अच्छा लगता है। पटाखे की आवाज सुनकर अच्छा तो लगता है, लेकिन चोट लगने डर भी लगता। ब्रेल और चलना सीख रही हूं। मेरे पापा हॉस्पिटल में हैं, भाई पुलिस में है।
आरती राव महोवे


मैंने भी फुलझडिय़ां चलाई थीं। मुझे गुजिया, मठरी, लड्डू, रवे का हलवा, गुलाब जामुन, पापड़ी, सोनपपड़ी। हम आरुषि में भी घर जैसे दिवाली मनाते हैं। मैं तो यहां का बेटा हो गया हूं। सभी मैडम और सर मुझे प्यार करते हैं।
निशुल गौतम


दिवाली पर कौन क्या कर रहा है, मैं सुनती रहती हूं। बड़ी होकर मैं भी खूब फुलझडिय़ां और पेंसिल अनार चलाऊंगी। दिवाली पर मिठाइयां खाऊंगी। आरुषि में म्यूजिक क्लास में बहुत मजा आता है।
आशिका यदुवंशी


मुझे दिवाली पर बहुत मजा आता है। मेरा भाई मुकेश फुलझड़ी जलाकर पकड़ा देता है और मैं उसे हवा में गोल-गोल घुमाता हूं। उस वक्त मुझे सबसे ज्यादा अच्छा लगता है। मैं ब्रेल लिपि और कम्प्यूटर यहां सीख रहा हूं।
मनीष ओखरे



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