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भोपाल

झाबुआ उपचुनाव तक नहीं होगी उमंग सिंघार पर कार्रवाई! ये है वजह

उमंग सिंघार पर कार्रवाई कर झाबुआ उप चुनाव से पहले आदिवासियों को नाराज नहीं करना चाहती है कांग्रेस

भोपालSep 08, 2019 / 02:18 pm

Muneshwar Kumar

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भोपाल/ दिग्विजय सिंह और उमंग सिंघार के बीच चल रहे तानातानी पर कुछ दिनों तक विराम लगता दिख रहा है। सीएम कमलनाथ ने दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर तमाम विवादों पर रिपोर्ट सौंपी है। उसके बाद यह मामला अनुशासन समिति को सौंप दिया गया है। अनुशासन समिति अब पूरे मामले को देखेगी। साथ ही सभी लोगों से वन टू वन बात करेगी। उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
सीएम कमलनाथ ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर कहा कि जिन्हें भी समस्या है, वो अपनी बात पार्टी फोरम में रखें। अब अनुशासन समिति के पास यह मामला भेज दिया गया है। वहीं, प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने कहा कि मैंने सोनिया गांधी से मुलाकात की, वह पूरे प्रकरण को लेकर परेशान थीं। उन्होंने ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं जो लोग भविष्य में किसी तरह की अनुशासनहीनता की मामले में लिप्त पाए जाते हैं।
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सोनिया गांधी के इस संदेश से यह तो स्पष्ट है कि उमंग सिंघार पर कार्रवाई हो सकती है। लेकिन इसमें अभी सियासी जानकार पेंच मानते हैं। पेंच यह है कि उमंग सिंघार आदिवासी समाज से आते हैं। आदिवासियों की बीच उनकी अच्छी पकड़ है। साथ ही उस समाज के वो बड़े नेता हैं। और झाबुआ में उपचुनाव होने हैं। झाबुआ आदिवासी बहुल सीट है। इस पर बीजेपी के जीएस डमोर का कब्जा था लेकिन उनके लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हो गई है।
झाबुआ में होने हैं उपचुनाव
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। सरकार की स्थिति ऐसी है कि हर एक विधायक का महत्व है। क्योंकि कमलनाथ की सरकार निर्दलीय, सपा और बसपा के समर्थन के सहारे चल रही है। ऐसे में झाबुआ सीट पर कांग्रेस की नजर है। अगर यह सीट जीतने में कामयाब होती है तो बहुमत के मामले में स्थिति और मजबूत हो जाएगी। सिंघार भी आदिवासी नेता हैं और उस इलाके में उनकी अच्छी पैठ है।
जोखिम नहीं लेना चाहती है कांग्रेस
ऐसे में मंत्री उमंग सिंघार पर कोई कार्रवाई कर कांग्रेस कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। कांग्रेस जानती है कि अगर सिंघार पर कोई कार्रवाई करते हैं तो सरकार भी खतरे में आ सकती है। कार्रवाई के बाद नाराज सिंघार कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। ऐसे में आदिवासी समाज के लोग में एक गलत संदेश जाएगा। जिसका खामियाजा झाबुआ में उठाना पड़ सकता है।
बस संदेश देने की कोशिश
सिंघार के बाद पार्टी और सरकार में विरोध के स्वर और उठने लगे थे। कांग्रेस आलाकमान ने अनुशासन समिति के पास मामले को भेज सिर्फ एक संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी अनुशासनहीनता के मामले को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। क्योंकि जब सीएम कमलनाथ से मीडिया ने सवाल पूछा कि कार्रवाई को लेकर कोई टाइमफ्रेम तय किया गया है कि उस पर उन्होंने कहा कि यह अनुशासन समिति देखेगी। इस बयान से ही यह साफ हो गया था कि फिलहाल जांच के नाम पर मामले को झाबुआ उपचुनाव तक टालने की कोशिश है।
बीजेपी झोंक रही है ताकत
वहीं, झाबुआ उपचुनाव को लेकर बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। शिवराज सिंह चौहान ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश सरकार को उखाड़ने की शुरुआत झाबुआ से होगी। सांसद डामोर ने कहा कि उपचुनाव के बाद ज्यादा दिन मध्यप्रदेश सरकार नहीं चल पाएगी।
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