
Bhopal AIIMS : मोबाइल या किसी अन्य डिस्पले डिवाइस के अधिक इस्तेमाल से आंखें कमजोर हो रही हैं। छोटे बच्चों को चश्मा लग रहा है। इसकी रोकथाम के लिए एम्स एक नया प्रयास करने जा रहा है। इसके तहत एम्स मैनिट से तकनीकी सहायता लेकर तीन साल में एक एआइ आधारित एप तैयार कर रहा है, जो व्यक्ति को बताएगा कि अधिक स्क्रीन टाइम के चलते इस रफ्तार से उसकी आंखें कमजोर हो रही हैं। अभी नहीं चेते तो आंखों की रोशनी गायब हो सकती है।
एम्स(Bhopal AIIMS) नेत्र रोग विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ. प्रीति सिंह ने बताया कि बाहर खेलने के दौरान दूर की चीजें देखते थे। अब बच्चे ज्यादातर वक्त मोबाइल स्क्रीन के सामने बीत रहा है। करीब आठ हजार पेशेंट्स डाटा की स्टडी से सामने आया कि 10 सालों में भोपाल में मायोपिया की समस्या 30 फीसदी तक बढ़ी है।
पांच जिलों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल जाने वाले बच्चों का सर्वेक्षण किया जाएगा। इस सर्वेक्षण के आधार पर एक एआइ आधारित डिजिटल एप विकसित किया जाएगा, जो मायोपिया की स्पीड का आकलन करेगा। यानी बताएगा कि किस रफ्तार से आंखें कमजोर हो रही हैं। बचाव के लिए क्या उपाय हो सकते हैं।
Updated on:
22 Nov 2024 02:27 pm
Published on:
22 Nov 2024 02:23 pm
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