विश्व टीबी दिवस पर आयोजित एक कार्यशाला के दौरान इस लैब का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉ.़ बलराम भार्गव भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि देश में इस तरह की एक दर्जन से भी कम लैब हैं। यही नहीं देश के सभी एम्स में यह पहली लैब है।
सैंपल कलेक्शन की प्रक्रिया ऑटोमेटिक
सैंपल कलेक्शन की प्रक्रिया ऑटोमेटिक
बीएसएल-3 लैब लोहे के बंकरनुमा आकृति की होगी। इस लैब में जैसे ही कोई डॉक्टर प्रवेश करेगा, उसका पूरा शरीर स्ट्रेलाइज हो जाएगा। ताकि, बाहर का कोई भी वाइरस, बैक्टीरिया इत्यादि लैब में न जा सके। सैंपल कलेक्शन की प्रक्रिया ऑटोमेटिक होती है। टेस्ट ट्यूब में सैंपल रखने के लिए डॉक्टर को मशीन के अंदर हाथ डालना पड़ेगा। इसके बाद ऑटोमेटिक मशीन सैंपल ले लेगी। यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित होती है। जांच के दौरान वाइरस फैलने की संभावना नगण्य रहेगी।
क्यों है जरूरत
क्यों है जरूरत
हवा के जरिए फैलने वाले वाइरस बेहद खतरनाक होते हैं। कुछ ही समय में ये तेजी से लोगों को अपना शिकार बनाने लगते हैं। कोई व्यक्ति विदेश जाता है तो वहां किसी वायरस के संपर्क में आता है और वह देश में महामारी का रूप ले लेता है। स्वाइन फ्लू के मामले में ऐसा देखने को मिला है। इसे देखते हुए देश के प्रमुख शहरों में इन वायरस की जांच के लिए अलग से लैब खोली जा रही हैं।
14 बिस्तरों का टीबी एमडीआर
14 बिस्तरों का टीबी एमडीआर
इस मौके पर एम्स के निदेशक डॉ .़सरमन सिंह ने बताया कि विश्व टीबी दिवस पर एम्स में विशेष वार्ड का शुभारंभ किया गया। 14 बिस्तरों के इस वार्ड में एमडीआर टीबी के मरीजों को भर्ती किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक देश से टीबी को पूरी तरह खत्म करना है। यह प्रयास इसी को लेकर किया जा रहा है।