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माइक्रा डिवाइस लगाने वाला एम्स MP का पहला सरकारी संस्थान

एम्स, भोपाल ने पिछले पांच साल से दर्द और इंफेक्शन से पीडि़त एक बुजुर्ग महिला को 30 मिनट में राहत दे दी। यह महिला सामान्य पेसमेकर के डिवाइस में इंफेक्शन से परेशान थी।

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भोपाल. एम्स, भोपाल ने पिछले पांच साल से दर्द और इंफेक्शन से पीडि़त एक बुजुर्ग महिला को ३० मिनट में राहत दे दी। यह महिला सामान्य पेसमेकर के डिवाइस में इंफेक्शन से परेशान थी। लापरवाही की वजह से इंफेक्शन महिला के दिल तक पहुंच गया था। उसके डिवाइस और तार दोनों छतिग्रस्त थे। चिकित्सकों ने इंफेक्शन के इलाज के साथ एडवांस इंट्राकार्डियक पेसमेकर (माइक्रा) दिल के अंदर लगाया। यह जटिल सर्जरी महज आधे घंटे में पूरी हुई। राज्य में इस तरह की डिवाइस लगाने वाला एम्स पहला सरकारी अस्पताल है।
छाती में नहीं लगा कोई कट
माइक्रा लगाने के लिए मरीज की छाती पर किसी कट की जरूरत नहीं पड़ी। डिवाइस को हृदय के अंदर डाला गया। और हृदय गति को सामान्य किया गया। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. किसलय श्रीवास्तव, डॉ. मधुर, डॉ. भूषण शाह और सीटीवीएस टीम के डॉ. योगेश, डॉ. किशन, डॉ. सुरेंद्र और डॉ. विक्रम से इस सर्जरी को अंजाम दिया।
इसलिए चुना इंट्राकार्डियक पेसमेकर
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.किसलय श्रीवास्तव ने बताया कि पुराने पेसमेकर वाली जगह पर संक्रमण था। इसलिए जटिल प्रक्रिया में तारों सहित पिछले उपकरण को पहले हटाया गया।
क्योंकि उम्रदराज लोगों में यह प्राय: असंभव होता है। इसके बाद कोरोनरी धमनी में बीमारी के लिए कोरोनरी बाईपास किया गया। और संक्रमण की वजह से इंट्राकार्डियक पेसमेकर लगाया गया।
क्यों बेहतर है माइक्रा
नॉर्मल पेसमेकर में डिवाइस छाती में लगती है। इसके तार नसों के जरिए दिल के अंदर पहुंचते हैं। जिससे ह्रदय गति को सामान्य करते हंै। लेकिन इसमें इंफेक्शन होने, शारीरिक गतिविधियों से तार खिंचने और ह्रदय गति प्रभावित होने का खतरा रहता है। जबकि दो चैंबर वाले माइक्रा यानी इंट्राकार्डियक पेसमेकर में इस तरह की कोई समस्या नहीं होती है। छोटी सी डिवाइस दिल के अंदर रहती है। हालांकि, यह सामान्य से 5 गुना अधिक महंगी होती है।
कैथलैब होने वाले ऑपरेशन (निजी में खर्च)
एंजियोग्राफी - 15 हजार
एंजियोप्लास्टी - 1 से 1.5 लाख
नॉमज़्ल पेसमेकर - 1 लाख
माइक्रा - 4 से 5 लाख
डिवाइस क्लोजर - 2 लाख
(आयुष्मान मरीजों के लिए मुफ्त)