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मिली अनुमति…मेट्रो की Blue Line के लिए कटेंगे 668 पेड़, बनेंगे अंडरग्राउंड स्टेशन

MP News: मेट्रो की दूसरी ब्लू लाइन भदभदा से जवाहर चौक, टीटी नगर, रोशनपुरा, मिंटो हॉल, जहांगीराबाद बाजार से पुल बोगदा होते हुए रत्नागिरी तिराहा तक तय है।

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Metro's Blue Line

Metro's Blue Line (Photo Source - Patrika)

MP News: मेट्रो ट्रेन की भदभदा से रत्नागिरी तिराहा तक 14 किमी की ब्लू लाइन और अंडरग्राउंड स्टेशन बनाने वाली मशीन को रास्ता देने के लिए 668 पेड़ों की कटाई होगी। इसकी अनुमति हाईपॉवर कमेटी ने दे दी है। पेड़ कटाई को मंजूरी देने वाली हाईपॉवर कमेटी के अध्यक्ष नगरीय प्रशासन एसीएस संजय दुबे ही मेट्रो रेल कारपोरेशन के भी चेयरमेन हैं। जनवरी से इन पेड़ों की कटाई की तस्वीरें भी सामने आएगी।

मेट्रो की दूसरी ब्लू लाइन भदभदा से जवाहर चौक, टीटी नगर, रोशनपुरा, मिंटो हॉल, जहांगीराबाद बाजार से पुल बोगदा होते हुए रत्नागिरी तिराहा तक तय है। इसमें भदभदा की ओर पियर्स का निर्माण किया जा रहा है। पियर्स के लिए रोड के बीच में 67 पेड़ आ रहे। इसी लाइन में रत्नागिरी के आसपास दस मीटर राइट ऑफ दि वे में 667 पेड़ आ रहे हैं। मेट्रो कारपोरेशन ने एक मीटर राइट ऑफ-वे घटाया है, जिससे 467 पेड़ कटाई वाले हो गए हैं। बीते तीन से चार दिनों में 1500 पेड़ काट दिए गए हैं। एसीएस संजय दुबे की अध्यक्षता वाली समिति ने अनुमति दी।

ऐसे कटेंगे पेड़

-मेट्रो का आरडब्ल्यू 10 मीटर की जगह 09 मीटर किया गया, इससे 667 की जगह 487 पेड़ कटना तय हुए।

-टनल बोरिंग मशीन के प्रवेश निकासी के लिए पातरा पुल व आरा मशीन परिसर में 27 हजार 513 वर्गमीटर जमीन की जरूरत है।

-यहां लगे 181 पेड़ों को काटना होगा

-कुल 668 पेड़ काटे जाएंगे

-588 पेड़ों का तना 30 सेमी से अधिक है

-80 पेड़ों का तना 30 सेमी से कम है

-करंज, नीम, कैसिया, सियामिया, नीलगिरी, शीशम, बदनीम, अंकोला, कनेर जैसे पेड़ों की कटाई होगी।

पत्रिका व्यू: यूका परिसर में करें पौधरोपण, ताकि दाग मिट जाए

भोपाल में पेड़ों की लगातार कटाई गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है। कभी बायपास के चौड़ीकरण के नाम पर तो कभी मेट्रो परियोजना के बहाने हजारों पेड़ों की बलि दी जा चुकी है। हरियाली को खत्म करने का यह सिलसिला अब भी जारी है। इसके उलट, शासन-प्रशासन हर साल कटाई की भरपाई के नाम पर पौधरोपण अभियान चलाता है, लेकिन देखरेख के अभाव और जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते ये पौधे पनपने से पहले ही मुरझा जाते हैं। पौधरोपण के नाम पर लाखों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं, जो व्यावहारिक रूप से व्यर्थ साबित होते हैं।

व्यापक स्तर पर किया जाए पौधारोपण

ऐसे में इससे बेहतर विकल्प यह होगा कि गैस त्रासदी के बाद वर्षों से वीरान पड़े यूका परिसर में व्यापक स्तर पर पौधारोपण किया जाए। इससे न केवल शहर के इस बड़े दाग को मिटाने में मदद मिलेगी, बल्कि परिसर में फिर से हरियाली लौट सकेगी। यूका परिसर में अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाना वहां की हवा, मिट्टी और समग्र पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

मेट्रो और अन्य परियोजनाओं के नाम पर पेड़ों की कटाई को मंजूरी देने वाले अधिकारी अन्य स्थानों पर पौधे लगाने का दावा तो करते हैं, लेकिन जहां वास्तव में हरियाली की सबसे अधिक आवश्यकता है, वहां उनका ध्यान नहीं जाता। अब समय है कि जिम्मेदार इस दिशा में ठोस और संवेदनशील निर्णय लें।