Ambedkar Bridge Potholes: गुणवत्ता पर उठे सवाल, अंबेडकर ब्रिज पर चढ़ा डामर दो माह भी न टिक सका, दो इंजीनियर भी हो चुके हैं निलंबित, मार्च-अप्रैल में मरम्मत के बाद जुलाई में ही सड़क फिर गायब, मुश्किल भरा हुआ सफर...
Ambedkar Bridge Potholes: 154 करोड़ रुपए की लागत से बने गणेश मंदिर से गायत्री मंदिर तक के आंबेडकर ब्रिज का डामर बारिश के पानी में क्या बहा, शहरवासी पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को कोसने लगे। आपके लिए भले ही ज्यादा हो, लेकिन पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों के लिए ये राशि कुछ नहीं है। बस 154 करोड़ रुपए ही तो खर्च हुए, ब्रिज पर चढ़ा डामर दो माह तक चला ही चला।
पौने तीन किमी लंबा फ्लाइओवर फिर उसी स्थिति में आ रहा है, जब एसीएस पीडब्ल्यूडी नीरज मंडलोई यहां निरीक्षण पर निकले थे और उन्होंने डामरीकरण नहीं करने पर दो इंजीनियरों को निलंबित कर दिया था। उन्होंने इस पर डामर की परत चढ़वा दी थी जो अब उखड़ गई।
बीते साल पीडब्ल्यूडी ने लोकपथ एप लांच किया था। जेट पैचर तकनीक समेत अन्य व्हाइट टॉपिंग और अन्य तकनीकों से रोड को बेहतर करने के दावे किए थे। तत्कालीन इएनसी आरके मेहरा व मौजूदा चीफ इंजीनियर संजय मस्के ने बकायादा प्रेस वार्ता कर बताया था कि अब सड़कों का टूटन बीते दिनों की बात है, लेकिन बारिश शुरू होते ही सड़कें उखड़ गई है। मसके का कहना है कि हमने पूरी टीम को फील्ड में काम पर लगाया हुआ है। अभी लगातार बारिश जारी है, इसके थमने पर सुधार तुरंत करेंगे।
-- 23 जनवरी को ब्रिज का लोकार्पण किया गया
-- 30 जनवरी तक शिकायत हुई तो दो इंजीनियर निलंबित किए गए।
-- मार्च से अप्रेल के बीच ब्रिज पर डामर की परत चढ़ाई गई।
-- जुलाई में अभी दस दिन की बारिश ही ठीक से हुई, डामर निकल गई, गड्ढे पड़ गए।
बारिश से स्थिति ये बनी की हमीदिया रोड पर भारत टॉकीज से अल्पना तक लोगों को पैदल चलना भी मुश्किल हो गया। जलभराव के साथ वाहनों की गति बेहद धीमी हो गई। डामर की इस रोड पर पानी में डामर बह गया, सिर्फ बजरी ही रही। छोटे-छोटे हजारों गड्ढों से भरी सडक़ गाड़ी चलाने और पैदल चलने वालों के बेहद मुश्किल भरी हो गई।