
भोपाल। सेना में भर्ती होने वाला जवान कभी अपनी जान की परवाह नहीं करता। उसे तो बस एक जुनून होता है कि हर परिस्थति में वह दुश्मनों को सरहद से दूर रखे और अपनी सीमाओं को जान देकर भी सुरक्षित बनाए रखे। देश की असली ताकत सेना ही नहीं, देश में बसने वाला हर आम व्यक्ति है।
आम आदमी ही अपने मेहनत और लगन से इस देश को ताकतवर बना सकता है। जब यहां के लोग समृद्ध होंगे तो हमारा देश समृद्ध बनेगा। इसके लिए हम सबको एकजुट होकर प्रयास करना होंगे। एकता में इतनी ताकत होती है कि हमें विश्व शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। ये बात परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर योगेन्द्र सिंह यादव ने रवीन्द्र भवन में आयोजित कार्यक्रम में कही गई।
उन्होंने कहा कि वर्दी में बड़ी ताकत होती है। इसे पहनने के बाद साधारण व्यक्ति भी सैकड़ों के बराबर होता है। वर्दी उसमें इतना जोश भर देती है कि वह पूरी सेना से अकेले टकराने की ताकत रखता है। उन्होंने कहा कि सैनिक जब वर्दी में होता है तो उसका कोई जाति, धर्म और समुदाय नहीं होता। वह किसी में फर्क भी नहीं करता। वह बस देश का सपूत होता है।
इतनी कम उम्र में सम्मान मिलेगा सोचा न था
सबसे कम मात्र 19 वर्ष कि आयु में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले वीर योद्धा योगेन्द्र सिंह यादव 27 दिसंबर 1996 को सेना की 18 ग्रेनेडियर बटालियन में भर्ती हुए। शादी के महज तीन माह बाद ही उन्हें युद्ध के मैदाम में जाना पड़ा। उनका कहना है कि कारगिल वार में उनकी टीम को पता चला कि दुश्मन पहाड़ों से हमला कर रहा है।
सामने से जाते तो दुश्मन देख लेता। टीम ने खड़े पहाड़ पर चढ़ाई कर ऊपर पहुंचे। दुश्मन के हमले में उन्हें तीन गोली लगी। घायल अवस्था में भी कई दुश्मनों का मार गिराया। वापस आकर अपनी टीम को दुश्मनों की सूचना दी। उनका कहना है कि जब सेना में भर्ती हुआ तो ऐसा कभी सोचा भी नहीं था कि परमवीर चक्र मिलेगा, इतनी कम उम्र में तो बिल्कुल नहीं।
रियल हीरो को पहचानना होगा
१994 में कीर्ति चक्र विजेता एसके राजदान कश्मीर में तैनात थे। जिस दिन इनका जन्म दिन था उसी दिन इन्हें खबर मिली की कुछ आतंकियों ने दर्जन भर से ज्यादा महिलाओं को बंदी बना रखा है। ब्रिगेडियर राजदान फौरन अपने जवानों लेकर वहां पहुंच गए। इलाके को घेर लिया गया। लगातार 16 घंटे तक मुठभेड़ चली।
महिलाएं छुडा़ ली गईं। लश्कर के 9 आतंकी मारे गए। लेकिन इस मुठभेड़ में ब्रिगेडियर राजदान की रीढ़ में गोली लगी। इस गोली ने उन्हें जिंदगी भर के लिए व्हील चेयर पर बिठा दिया। उन्होंने कहा कि देश के रियल हीरो को पहचाना होगा। कई लोग देश विरोधी नारे लगाते हैं, लेकिन यूथ उन्हें अपना रोल मॉडल मानने लगते हैं। वहीं कीर्ति चक्र विजेता चेतन चीता ने कहा कि शौर्य का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए।
इससे उनका हौसला बढ़ता है। कार्यक्रम में इन तीनों वीरों के साथ पुलिस, सीआरपीएफ, आरपीएफ के २३ अन्य जवान-अफसरों को उनके साहस के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में देशभक्ति गीतों पर क्लासिकल और सेमी क्लासिकल डांस भी पेश किए गए।
Published on:
10 Jun 2018 01:11 pm
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