
भोपाल@रिपोर्ट - प्रवीण श्रीवास्तव
अगर आपके बच्चे को एग्जिमा की शिकायत है तो इसका समुचित इलाज करवाएं। एग्जिमा का सही इलाज बच्चे में अस्थमा के प्रभाव को कम कर सकता है। आप हैरान होंगे कि दोनों बीमारियां एक दूसरे से भिन्न हैं तो फिर इलाज कैसे एक हो सकता है। दरअसल जो बच्चे एटॉपिक डरमेटाइटिस (एडी) से पीडि़त होते हैं, उनकी जिंदगी में अस्थमा होने का खतरा बढ़ जाता है। एडी एक प्रकार का एक्जिमा रोग है। एडी के लिए वही हालात दोषी होते हैं जो अस्थमा के लिए माने जाते हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज के चेस्ट एंड टीबी विभाग की ओपीडी में हर महीने 20से 25 एेसे बच्चे आते हैं जो पहले एग्जिमा से पीडि़त थे और बाद में उन्हें अस्थमा ने घेर लिया।
कैसे होता है एक्जिमा
जीएमसी के वरिष्ठ चेस्ट एंड टीबी विशेषज्ञ लोकेन्द्र दवे के मुताबिक त्वचा में एक खास प्रोटीन फिलाग्रीन की कमी के कारण एक्जिमा या खाज होता है। एटोपिक एक्जिमा (चकत्ते वाली खुजली) अक्सर छह माह या एक साल के बच्चों में पाई जाती है। एग्जिमा मुख्य रूप से धूलकण से होती है जो त्वचा में सूजन बढ़ाती है इसके साथ ही यह सांस की नली में भी सूजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है जिससे बच्चों में अस्थमा हो जाता है। घर के बारीक धूलकण फेफड़ों पर सीधा असर डालते हैं और यही त्वचा पर एग्जिमा का कारण बनते हैं।
पांच गुना बढ़ गए मामले
डॉ. दवे बताते हैं कि छोटे बच्चों में जब अस्थमा के मामले हमारे पास आत है तो हम उनसे उनके इतिहास के बारे में जानकारी लेते हैं। इनमें से 40 फीसदी बच्चे एडी से पीडि़त होते हैं। एेसे मंे माता-पिता को चाहिए कि अगर बच्चे को एग्जिमा है तो वे उसका पूरा इलाज कराएं। बीते एक दशक की बात करें तो एेसे मामलों में पांच गुना तक वृद्धि हो गई है।
Published on:
01 May 2018 07:55 am
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