दो दिनों तक आंसुओं में डूबी रही
उन्होंने कहा कि मुझे जब यह पता चला कि मुझे ब्रैस्ट कैंसर है और रोग काफी विकसित अवस्था में है, मैं स्तब्ध रह गई। दो दिनों तक आंसुओं में डूबी रही, परिवार और मित्रों ने मुझे लडऩे की प्रेरणा दी। इसके बाद जिंदगी के प्रति मेरा नजरिया ही बदल गया। मैंने जिंदगी को और अधिक अहमियत देनी शुरू कर दिया। मुझे महसूस हुआ कि परिवार कितना अहम होता है।
बेटी ने किताब लिखने के लिए प्रेरित किया
मृदुला ने कहा कि शुरू में किताब लिखने का मेरा कोई इरादा नहीं था। मेरे नानाजी कहा करते थे कि अपनी कमजोरियों को दूसरों के समक्ष नहीं लाना चाहिए, क्योंकि बुरा वक्त ज्यादा समय तक नहीं टिकता लेकिन बुरे वक्त से संघर्ष करजो व्यक्ति बाहर निकलता है, वह देर तक टिका रहता है। परिवार के सदस्यों, खासकर मेरी बेटी मृणालिनी ने इसके लिए मुझे प्रेरित किया। बेटी की इच्छा थी कि मेरा अनुभव अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बनना चाहिए, जो कैंसर और अन्य जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे हैं। किताब के शीर्षक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जब आप मुसीबत में होते हैं तो बचपन की यादें आपको शक्ति प्रदान करती हैं। बचपन में जब मैं नीली गुलमोहर तोड़कर लाती थी, तो पिता मेरा हाथ चूमते हुए स्नेह से कहते थे कि अब तुम्हारे हाथों में पर्पल स्काई है। यहीं से मेरी किताब का शीर्षक निकला है। शीर्षक उन लोगों के दिलों में आशा की किरण जगाएगा, जो दुर्भाग्यवश कैंसर का सामना कर रहे हैं।