यह दवा खतरनाक केमिकल नहीं बल्कि बैक्टीरिया से तैयार की गई है। यह बैक्टीरिया पानी में अपनीसंख्या बढ़ाकर मच्छरों के लार्वा को खत्म करेंगे। दरअसल, जीका भी एडीज मच्छरों के काटने से ही फैलती है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह दवा स्वास्थ्य के लिए ज्यादा हानिकारक भी नहीं है।
डेंगू वाले क्षेत्रों पर जोर
स्वास्थ्य विभाग अब जीका को रोकने के लिए तैयारी कर रहा है। ऐसे में 2018 और 2019 में जिन क्षेत्रों में डेंगू के 30 से ज्यादा मरीज मिले थे उन क्षेत्रों में लावाँ सर्वे किया जा रहा है। यहां सर्वे टीम घरों में पानी की जांच कर लार्वा नष्ट कर रही है। मालूम हो कि 2018 में राजधानी में डेंगू के 738 तो 2019 में 1893 मामले सामने आए थे।
नहीं हो रहा फायदा
फिलहाल मच्छरों को मारने के लिए टीमोफॉस और फायरेधम का उपयोग किया जाता है। जानकारी के मुताबिक 2009 से इन रसायनों का उपयोग हो रहा है। लगातार एक ही दवा के उपयोग से अब मच्छरों पर इनका असर कम हो गया। यहीं नहीं इस दवा को तय मात्रा में ही उपयोग किया जाता है, लेकिन आज तक कर्मचारी इसके सही उपयोग को नहीं समझ पाए।
डॉ. हिमांशु जैसवार, उप संचालक, स्वास्थ्य का कहना है कि ए एडीज मच्छरों के लार्वा को खत्म करने के लिए अब बीटीआई नामक दवा का उपयोग किया जा रहा है। इसे पानी में डालने से लाव खत्म हो जाएंगे। इसके साथ ही जीका के संभावित खतरे को देखते हुए डेंगू लार्वा सर्वे के लिए टीमों को बढ़ाया गया है।