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कलेक्टर का नाम बदलने से पहले जनता—नेताओं से पूछेगी सरकार

— विज्ञापन जारी कर लोगों से बुलाएगी नया नाम — अपर मुख्य सचिव केसरी की अध्यक्षता वाली कमेटी की पहली बैठक में हुआ तय- मुख्यमंत्री ने एक माह में मांगा है कलेक्टर का नया पदनाम

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cm kamalnath

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मध्यप्रदेश में कलेक्टर का नया नाम क्या रखा जाए। इसके लिए सरकार में मंथन शुरु हो गया है। अपर मुख्य सचिव आईसीपी केसरी की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रालय में हुई बैठक में ये तय किया गया कि कलेक्टर बहुत ही महत्वपूर्ण पद है। शहर से लेकर गांवों तक कलेक्टर पदनाम की प्रतिष्ठा है। ऐसे में कोई भी नाम रखने से पहले इसे पूरे प्रदेश की भागीदारी जरुरी है। बैठक में कमेटी के सदस्य प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश के हर छोटे बड़े अधिकारी, नेता और पत्रकारों से कलेक्टर के नए नाम को लेकर सुझाव लिया जाना चाहिए।
प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने कहा कि विज्ञापन जारी कर आम जन से सुझाव बुलाए जाना चाहिए, जिससे कलेक्टर के पदनाम को उसी के गरिमा के अनुसार चुना जा सकेगा।

बैठक में सागर कलेक्टर प्रिति मैथिल ने बताया कि देश में और जगह कहां—कहां कलेक्टर के नाम बदले गए हैं। उत्तरप्रदेश—झारखंड को छोड़कर अन्य हिन्दी भाषी राज्य में कलेक्टर ही बोला जाता है। उत्तरप्रदेश में डीएम तो झारखंड में समहर्ता बोला जाता है। ऐसे में कलेक्टर पदनाम बदलने के लिए आमजन की सहभागिता बहुत जरुरी है।

यह कमेटी ओपन-फोरम पर सबसे चर्चा के बाद तय करेगी कि कलेक्टर का नया नाम क्या प्रस्तावित किया जाए। इसमें सुशासन संस्था और प्रशासन अकादमी से भी इस मुद्दे पर सलाह ली जाएगी। इतना ही नहीं कलेक्टरों, तहसीलदारों और शहरी व पंचायत प्रतिनिधियों तक से इस पर राय-शुमारी की जाएगी। केसरी कमेटी की पूरी कोशिश है कि यह कवायद औपचारिक न होकर व्यावहारिक बने, ताकि नए नाम बेहतर आ सकते।

वाणिज्य कर विभाग के अपर मुख्य सचिव आईसीपी केसरी की अध्यक्षता में पांच आईएएस की कमेटी ने सोमवार को बैठक की। इसमें प्रारंभिक रूप से जिला एडमिनिस्टेटर और जिला कमिश्नर दो नाम प्रस्ताव के रूप में आए, लेकिन फिलहाल सबसे रायशुमारी करने के बाद ही कोई प्रस्ताव बनाना तय किया गया है। कमेटी रायशुमारी के बाद सीएम कमलनाथ और सीएस एसआर मोहंती को अपनी रिपोर्ट देगी।

इनसे ली जाएगी राय

- एसएएस, तहसीलदार, पंचायत, शहरी व ग्रामीण प्रतिनिधि से संवाद
- 13 फरवरी को उक्त प्रतिनिधियों व कलेक्टरों के साथ बैठक

- विधायकों-सांसदों व वल्लभ-भवन में पदस्थ अफसरों से चर्चा।
- प्रशासन अकादमी व सुशासन संस्थान की रिपोर्ट पर चर्चा व सलाह

- नाम में क्या बदलाव करने या न करने को लेकर सलाह-मशविरा
- मप्र व दिल्ली में पदस्थ अफसरों व संभागायुक्तों से सलाह