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EXTRA SHOT: पैक्ड फूड खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान तो नहीं पड़ेंगे बीमार

रैडी टु ईट या कहिए पैक्ड फूड आज की फास्ट लाइफ में घर-घर दस्तक दे चुका है। 

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Amitabh Gunjan

Oct 15, 2015

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(प्रतीकात्मक फोटो)
(नितेश त्रिपाठी )

भोपाल। रैडी टु ईट या कहिए पैक्ड फूड आज की फास्ट लाइफ में घर-घर दस्तक दे चुका है। कहीं समय न मिलने की मजबूरी तो कहीं इस के बेहतरीन स्वाद ने लोगों को इस का दीवाना बना दिया है। पैक्ड फूड में खानेपीने की चीजों की लंबी सूची है। इसे बनाने के लिए न तो घंटों किचन में खड़े होने की जरूरत है और न ही पसीना बहाने की। बस पैकेट या ढक्कन खोलो और खा या पी लो। यह इन तैयार पैकेटों का ही कमाल है कि खाने में बेहतरीन स्वाद लाने के लिए अब मसालों को कूटने-पीसने की जरूरत नहीं पड़ती। आज हर मसाले का पेस्ट बाजार में उपलब्ध है। पर क्या ये खाद्यपदार्थ हमारे स्वास्थ्य के लिहाज से भी उतने ही सुरक्षित हैं जितने कि बनाने की सहूलियत के मामले में?


पैक्ड फूड आकर्षक बनाने के लिए इसमें मिलाए गए आर्टिफिशियल कलर और प्रिजर्वेटिव के कारण कई बीमारियां होने की संभावना रहती है। जैसे, पेट में गैस बनने की समस्या, पाचनतंत्र से जुड़ी समस्या आदि। साथ ही प्रोसैसिंग के दौरान खाद्यपदार्थ से काफी सारे पौष्टिक तत्त्व निकल जाते हैं। अत: जब कभी रैडी टु ईट फूड लेना पड़े तो सब से पहले फूड लेवल में लिखित निम्न बातों को ध्यान से पढ़ना न भूलें...


(प्रतीकात्मक फोटो)
इन बातों का रखें ध्यान
खानेपीने की आइटम खरीदते समय सबसे पहले डब्बे या पैकेट पर छपी सूचना को पढ़ना न भूलें। इस जानकारी का आप के स्वास्थ्य के साथ चोलीदामन का साथ होता है। उसी खाद्यपदार्थ को तरजीह दें, जिस के बारे में विस्तृत सूचना दी गई हो। इस जानकारी के तहत प्रोडक्ट के उत्पादन व ऐक्सपायरी डेट के अलावा प्रोडक्ट में प्रयुक्त किए जाने वाली सामग्री, उस में मौजूद न्यूट्रिशनल वैल्यू व प्रयोग करने के संबंध में लिखा होता है।

बिना लेवल का कोई भी खाद्यपदार्थ न खरीदें। ऐसा फूड आप के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। जब भी खानेपीने का डब्बाबंद चीज खरीदें तो हमेशा नामी ब्रैंड को ही तरजीह दें। वजह ब्रैंडेड कंपनी कभी अपनी गुणवत्ता से समझौता नहीं करती। नूडल्स, बिस्कुट, रस, ब्रैड जैसी आइटम्स मैदे से बनी के बजाय आटे से बनी चीजों को प्राथमिकता दें।
पेयपदार्थ चाहे जूस हो अथवा कोल्ड ड्रिंक एक बार कैप खोलने के बाद ज्यादा दिन तक फ्रिज में स्टोर न करें।

कुछ फूड आइटम्स प्रोटीनयुक्त होती हैं तो कुछ फाइबरयुक्त। इन्हें किसी भी समय लिया जा सकता है और इन से कोई हानि भी नहीं होती है। फाइबरयुक्त खाद्यपदार्थ डिटौक्सीफिकेशन करने में मदद करते हैं। इन्हें किसी भी उम्र का व्यक्ति ले सकता है। फैट, शुगर और साल्ट के कई नाम और प्रकार होते हैं। डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापे के मरीजों के लिए जरूरी है कि इन की सही जानकारी रखें। तत्त्वों की सूची में पहले स्थान पर मौजूद तत्त्व अनुपात में सब से ज्यादा होता है।


(प्रतीकात्मक फोटो)
फैट, कोलैस्ट्रौल, सोडियम या साल्ट को सीमित मात्रा में ही लें। सूची में पहले या दूसरे स्थान पर होने पर इन का सेवन न करें। 100 ग्राम फूड आइटम में फैट की मात्रा 10 ग्राम से कम होनी चाहिए। 3 ग्राम फैट या उस से कम हो तो उसे लो फैट माना जाता है। प्रत्येक सर्विंग में 140 एमजी से कम नमक होना चाहिए।

-शुगर की मात्रा पर नजर रखें। शुगर और स्टार्च के रूप में कार्बोहाइड्रेट्स की कुल मात्रा देखें।
-जिस खाद्यपदार्थ में फाइबर की मात्रा ज्यादा हो उसी को वरीयता दें।
-प्रति 100 ग्राम में 3 ग्राम से ज्यादा फाइबर होना चाहिए।
-कई फूड आइटम्स में लो कोलैस्ट्रौल या कोलैस्ट्रौल फ्री लिखा होता है, लेकिन इस की जगह सैचुरेटेड फैट ज्यादा हो सकता है।
-इसी तरह से लो शुगर या नो शुगर की जगह फू्रक्टोज, डैक्स्ट्रोज जैसे दूसरे तत्त्व हो सकते हैं।
-कम फैट के चक्कर में न पड़ें, क्योंकि वास्तविकता और दावों में फर्क हो सकता है।