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कई जगह से असुरक्षित है भोज यूनिवर्सिटी कैम्पस, जिम्मेदार बेफिक्र

- कोई हादसा न हो, इसलिए रात्रिकालीन गार्ड कर दिए गए हैं चौकन्ने- कलियासोत नदी में टाइगर कॉरिडोर से आया बाघ, क्षतिग्रस्त है फेंसिंग- पग मार्क छोटा होने से अंदाजा लगाया जा रहा बाघ शावक की मौजूदगी का

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कई जगह से असुरक्षित है भोज यूनिवर्सिटी कैम्पस, जिम्मेदार बेफिक्र

कई जगह से असुरक्षित है भोज यूनिवर्सिटी कैम्पस, जिम्मेदार बेफिक्र

भोपाल. कोलार रोड स्थिति भोज ओपन यूनिवर्सिटी कैम्पस में टाइगर मूवमेंट होने के बाद वहां के रहवासी तो शाम होने के बाद घरों में दुबक जाते हैं और कैम्पस में सन्नाटा पसर जाता है। यह सन्नाटा आवागमन करते वाहनों से थोड़ी दूर को जरूर टूटता है, लेकिन वाहन गुजरने के बाद फिर वैसी ही स्थिति हो जाती है।

टाइगर से खतरा/भिडंत टालने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने जो विश्वविद्यालय प्रशासन को एहतियात बरतने को कहा था, वे कहीं दिखाई नहीं दिए। स्वयं कुलपति शनिवार रात को कैम्पस में नहीं थे। उनके आवास पर सिंगल गार्ड ड्यूटी पर मौजूद था, लेकिन बताया गया कि कुलपति सपरिवार कहीं गए हुए हैं।

पत्रिका एक्सपोज संवाददाता ने भोज ओपन यूनिवर्सिटी के कैम्पस का रात में दौरा किया और हालात देखे। कैम्पस में कई जगहों पर अंधेरा फैला हुआ था। कलियासोत नाले पर कई स्थानों पर फेंसिंग है ही नहीं और है भी तो टूटी हुई है, जिससे खूंखार जंगली जानवर आसानी से कैम्पस पहुंच सकते हैं। मेन गेट, कुलपति आवास, गेस्ट हाउस आदि प्वाइंट्स पर सिंगल गार्ड ही तैनात थे, जिनके पास डंडे के सिवा टॉर्च तक नहीं थी। एक व्यक्ति परिसर में पालतू कुत्ते को घुमा रहा था, जो खतरनाक हो सकता था।

रात 9.43 बजे कोलार मेन रोड
कोलार मेन रोड की तरफ कई स्थानों पर बाउंड्री वॉल तोड़ी गई है। यहां आवारा जानवर भी विचार विचरण कर रहे थे। इन जानवरों की तरफ आकर्षित होकर टाइगर, लेपर्ड जैसे वन्यप्राणी आ सकते हैं। कई लोग यहां से प्रवेश कर अंदर से लकड़ी काटकर लाते हैं। कुछ लोग शौच के लिए भी इसी रास्ते से अंदर आना-जाना करते हैं। कई स्थानों पर बाउंड्री वॉल बिल्कुल गायब ही कर दी गई है।

रात 10.30 बजे कुलपति आवास
यहां पर गार्ड तैनात था। गार्ड के पास टॉर्च तक नहीं थी। गेस्ट हाउस से प्रशासनिक परिसर तक सन्नाटा पसरा था। एक-दो युवक दोपहिया वाहन पर जरूर गुजरे। गार्ड ने टाइगर मूवमेंट के बारे में बताया। रात 11 बजे गार्ड की ड्यूटी चेंज हुई। रात के गार्ड ने बताया कि वह उस रात भी मौजूद था, जिस रात टाइगर परिसर में कूदा था। उसने आवाज सुनी थी, फिर थोड़ी देर बाद देखा तो कोई दिखाई नहीं दिया था। गार्डरूम की खिड़की कमजोर है और निगरानी के हिसाब से सही तरीके से नहीं बनाया गया है।

राज बजे कलियासोत नाला
इस नाला यूनिवर्सिटी कैम्पस से गुजरा है, लेकिन कई जगह से असुरक्षित है। संवाददाता को कई स्थानों पर फेंसिंग गायब तो कई जगहों पर टूटी मिली। इसी नाले से टाइगर कैम्पस में घुसा था। दीवार पर बने टाइगर पग मार्क में लगी मिट्टी से यह स्पष्ट है कि वह नाले होकर कैम्पस में कूदा। यहां न प्रॉपर लाइटिंग थी और न ही कोई सुरक्षा पहरा।

ये करने को कहा था वन विभाग ने:
1. जहां फेंसिंग नहीं, वहां फेंसिंग कराएं और टूटी फेंसिंग को रिपेयर कराएं।
2. आवासों के पास और कैम्पस की सड़कों पर प्रॉपर लाइटिंग।
3. रात में बाहर न घूमें, झाडिय़ों में नहीं जाएं।
4. पहरे पर गार्ड सजग रहें, गु्रप में जाकर चेकिंग/पहरेदारी करें।
5. कैम्पस से आवारा कुत्ते, गाय आदि जानवरों को हटाएं।
6. टाइगर दिखने पर डीसीएफ, रेंज अफसर, फ्लाइंग स्क्वायड को कॉल करें।

तेंदुए का भी रूट
भोज ओपन यूनिवर्सिटी कैम्पस होकर तेंदुआ पूर्व में भी शहर में कई बार आया है। पिछली साल भी उसने यही रूट अपनाया था। कलियासोत डैम के नाले से एक्सीलेंस कॉलेज के पास ईश्वर नगर होते हुए तेंदुआ भोज यूनिवर्सिटी कैम्पस के जंगल में पहुंचा और वहां से सड़क पार कर स्वर्ण जयंती पार्क, बाबा नगर, शाहपुरा पहाड़ी होते हुए आकाशगंगा, गुलमोहर कॉलोनी पहुंचा था। इस रूट को पिछले साल पत्रिका ने विशेष तौर पर प्रकाशित किया था, लेकिन भोज ओपन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने टूटी फेंसिंग को फिर भी रिपेयर नहीं कराया।


टाइगर मूवमेंट की खबर पर विभागीय अमला वहां गया था और विवि प्रशासन को सुरक्षा उपायों के बारे में बताया था। विवि प्रशासन को डीसीएफ, रेंज अफसर, फ्लाइंग स्क्वायड प्रभारी आदि वन अधिकारियों के नंबर उपलब्ध कराए गए हैं।
- एके ङ्क्षसह, प्रभारी डीएफओ