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शहर की सुरक्षा के लिए सड़क पर उतरे कलेक्टर व डीआईजी, जानिये क्या है मामला?

कलेक्टर डॉ. सुदाम खाड़े, डीआईजी संतोष कुमार सिंह ने लोगों से बातचीत कर शहरवासियों को सुरक्षा का पूरा भरोसा भी दिलाया।

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भोपाल। दिनों दिन महिलाओं व आम जनता के लिए असुरक्षित होती जा रही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को सुरक्षा का भरोसा दिलाने शनिवार को कलेक्टर डॉ. सुदाम खाड़े, डीआईजी संतोष कुमार सिंह सड़क पर उतरे।

इस दौरान उन्होंने शहर की अंधेरी व सकरी जगहों का निरीक्षण किया। वहीं इस दौरान उन्होंने लोगों से बातचीत कर उनकी परेशानियां भी जानी। जिसके बाद उनकी तरफ से शहरवासियों को सुरक्षा का पूरा भरोसा भी दिलाया गया।

इसके अलावा इस दौरान दोनों अधिकारियों ने क्षेत्र में कार्यरत पुलिस कर्मियों से भी बातचीत की। साथ ही वहां की सुरक्षा के संबंध में भी जानकारी ली।

इधर, एसआरपी का रवैया असंवेदनशील, अधिकारियों का नहीं मातहतों पर नियंत्रण! :
वहीं हबीबगंज रेलवे स्टेशन के पास यूपीएससी की तैयारी कर रही छात्रा के साथ गैंगरेप के 17 दिन बाद मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने डीजीपी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट बंद लिफाफे में सौपी गई है।

इसे डीजीपी संभवत: सोमवार को खोलेंगे। रिपोर्ट में एफआईआर दर्ज करने में हुई लेटलतीफी के लिए पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी तय की गई है। सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में तत्तकालीन एसआरपी अनीता मालवीय का रवैया सबसे अधिक असंवेदनशील रहा। जबकि, एमपी नगर सीएसपी कुलवंत सिंह, टीआई संजय सिंह बैस का अपने मातहतों पर नियंत्रण नहीं होने की बात सामने आई है।

एडीजी जीआरपी, डीआईजी बरी!
सूत्रों की मानें तो अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस जीआरपी (एडीजी) जीपी सिंह और पुलिस महानिरीक्षक भोपाल (डीआईजी) संतोष कुमार सिंह को रिपोर्ट में क्लीनचिट मिल गई है। इन दोनों अफसरों पर आरोप लगे थे कि सीमा विवाद के चलते इन्होंने एफआईआर नहीं करने के मौखिक निर्देश मातहतों को दिए थे। हालांकि, एसआईटी सूत्रों ने कहा कि इन अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाने वाले ठोस प्रमाण नहीं दे सके।

अनीता मालवीय का रवैया संवेदनशील नहीं
सूत्रों की माने तो एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तत्कालीन एसआरपी, अनीता मालवीय के हंसते हुए घटना की जानकारी देने वाले सोशल मीडिया में वायरल हुए वीडियो से उनका असंवेदनशील रवैया सामने आया है।

हालांकि, एफआईआर देरी में उनकी कोई गलती नहीं पाई गई। पुलिस महानिरीक्षक (जीआरपी) नवल सिंह रघुवंशी के साथ जल्द ही घटना स्थल पहुंची थीं। जैसे ही उन्हें जानकारी मिली उन्होंने मामले की जांच शुरू करा दी थी।

ऐसे समझें, रिपोर्ट में किस अधिकारी की क्या कमी और लापरवाही बताई(नोट: सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार )-
1. कुलवंत सिंह, सीएसपी: सीएसपी कुलवंत सिंह का मातहतों पर नियंत्रण नहीं था। एमपी नगर थाने का एक एसआई घटनास्थल पर गया, लेकिन उन्हें जानकारी नहीं थी।

2. संजय सिंह बैस, टीआई, एमपी नगर: टीआई ने अपने बयान में बताया कि उन्हें दोपहर में घटना की जानकारी मिली। जबकि उनको घटना की जानकारी सुबह ही मिल जानी थी।
3. रामनाथ टेकाम, एसआई, एमपी नगर: घटना की सूचना मिलते ही इन्हें अपने वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी देनी थी। इसके बजाय पीडि़ता व परिजनों से दुव्र्यहार किया।
रवींद्र यादव, टीआई हबीबगंज: जीआरपी को फोन करने के बजाय इन्हें खुद अपने थाने में केस रजिस्टर्ड करना चाहिए था। पीडि़ता पांच घंटे तक थाने में रही। फिर भी एफआईआर नहीं दर्ज की।
4. मोहित सक्सेना, टीआई, जीआरपी: रवैया बहुत ही उदासीन रहा। इन्होंने न सिर्फ पीडि़ता व उनके परिजनों से दुव्र्यहार किया बल्कि एफआईआर दर्ज करने में भी देरी की।
भवानी प्रसाद उइके, सबइंस्पेक्टर जीआरपी: सीमा विवाद इन्होंने ने ही शुरू किया था। जब हबीबगंज थाना प्रभारी ने एफआईआर दर्ज करने कहा तो वह स्पॉट से तुरंत लौट आए।

डीआईजी सुधीर लाड ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मैंने रिपोर्ट डीजीपी के पास भेज दी है। रिपोर्ट में क्या है इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है।
- अरुणा मोहन राव, एडीजी, महिला अपराध सेल