
Bhopal Gas Tragedy
Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस कांड एक ऐसा हादसा है, जिसे सुन आज भी लोगों का दिल दहल जाता है। साल 1984, दिसंबर का महीना और कड़ाके की सर्दी। तारीख थी 2 दिसंबर, आधी रात को जब लोग गहरी नींद में थे, तब किसे पता था कि इनमें से कई अब कल का सूरज नहीं देख पाएंगे।
ये कहानी है भोपाल गैस त्रासदी की। 40 साल बाद भी उस काले दिन को याद कर लोगों की रूह कांप जाती है। भोपाल गैस त्रासदी की गिनती सबसे खतरनाक औद्योगिक दुर्घटना में होती है। इसमें न जाने कितनों की जानें गई, कितने अपंग हो गए। इस बात का कोई सटीक आंकड़ा नहीं है।
बीते दिन गैस कांड की बरसी से पहले चिंगारी ट्रस्ट के बच्चों ने गैस हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धाजलि दी। ये वे बच्चे हैं जो गैस कांड के बाद दूसरी पीढ़ी से हैं और हादसे से प्रभावित हुए। इस मौके पर बड़ी संख्या में स्टाफ भी मौजूद रहा।
बताते हैं कि 2 दिसंबर 1984 की आधी रात का समय। अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड के भोपाल कारखाने में गिने-चुने कर्मचारी काम कर रहे थे। इस कारखाने में कीटनाशक बनाने का काम होता था, जिसे मिथाइल आइसोसाइनेट नाम की गैस की मदद से बनाया जाता था। इस गैस का पानी के साथ रिएक्शन इसे और खतरनाक बनाता है। उस दिन कर्मचारी केमिकल प्रोसेसिंग यूनिट की सफाई कर रहे थे।
सफाई के बाद ही पानी बहते हुए गैस के स्टोरेज टैंक तक पहुंच गया। धीरे-धीरे गैस ने पानी के साथ रिएक्ट किया। इसका पता भी तब चला जब वहां मौजूद कर्मचारियों की आंखें जलने लगीं। इसके बाद तेज-तेज सायरन बजने लगा। देखते ही देखते अफरातफरी से पूरे शहर में हाहाकार मच गया। जिसको जहां जगह मिल रही थी या जो समझ आ रहा था, वो उसी तरफ दौड़ता जा रहा था। उस काली रात को याद कर आज भी लोगों की आंखों में आंसू आ जाते हैं।
सिर्फ इंसान ही नहीं, जानवरों को भी गैस लीक से जान गंवानी पड़ी। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 30000 इंसान और 2 से 3 हजार जानवरों ने इस त्रासदी में अब तक जान गंवा दी है। हालांकि सरकारी आंकड़े अलग कहानी कहते हैं। मध्य प्रदेश सरकार के आधिकारिक आंकड़ों में इस हादसे में 3 हजार लोगों की मौत हुई थी।
Published on:
02 Dec 2024 04:51 pm
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