गैस त्रासदी की बरसी के मौके पेश है महिला कव्वाल शकीला बानो ( Shakeela Bano Bhopali ) की दास्तां, जिसे हर साल लोग याद करते हैं…। इस हादसे में शकीला की आवाज चले गई थीं।
भोपाल गैस त्रासदीः 35वीं बरसी पर एकत्र हुए हजारों लोग, अपनो को किया याद
Qawwali singer शकीला का जन्म 1942 में और मृत्यु 16 दिसंबर 2002 में हुई थी। पूरी जिंदगी भोपाल में रहने वाली शकीला की आवाज इतनी पसंद की गई कि अफ्रीका, इंग्लैंड और कुवैत में कव्वाली मुकाबलों में जाने लगी थीं। उनकी कुछ कव्वाली कई बॉलीवुड फिल्मों में भी दिखाई देती हैं।
शकीला की कव्वाली को चाहने वाले वाले लोग बताते हैं कि भले ही उनका इंतकाल 16 दिसंबर 2002 को हुआ हो, लेकिन वो तो पहले ही खत्म हो चुकी थीं। 2-3 दिसंबर 1984 को भोपाल गैस त्रासदी में शकीला की आवाज चले गई थी। जब शकीला की आवाज दुनियाभर में सुनी जा रही थी, उसी दौर में किसी गायक की आवाज छिन जाए, इसका दर्द शायद ही कोई महसूस कर सकता है।
बेबाक था शकीला का अंदाज
उस दौर में एक मुस्लिम महिला का परदे में से बाहर निकलना और पुरुषों के सामने बैठकर कव्वाली करना लोगों को बड़ा हैरान करता था, लेकिन शकीला ने अपने बेबाक अंदाज और दबंग व्यक्तित्व के कारण अपनी अलग ही धाक जमाई थी। काफी लम्बे संघर्ष के बाद उन्हें फ़िल्में और स्टेज पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिला। शकीला बानो ने कभी विवाह नहीं किया। उनके परिवार में एक बहन और एक भाई हैं। उनके साथ बाबू कव्वाल के साथ उनकी जोड़ आज भी जानी जाती है। दोनों के बीच होने वाला मुकाबला दर्शकों को बांधे रखता था।