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कचरा प्रबंधन में भोपाल-इंदौर शहर मिल को सकती है ऑल इंडिया रैंक

- आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने दोनों नगर निगम के कमिश्नरों को दिल्ली बुलाया- एक अक्टूबर को जारी हो सकता है स्वच्छता और कचरा प्रबंधन पर ऑल इंडिया रैंक

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भोपाल

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Ashok Gautam

Sep 25, 2022

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भोपाल। स्वच्छता और कचरा प्रबंधन पर प्रदेश के भोपाल और इंदौर नगर निगम को ऑल इंडिया रैंकिंग में पहला स्थान मिल सकता है। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने इन दोनों नगर निगमों के कमिश्नरों को दिल्ली बुलाया है। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में स्वच्छ शहर संवाद और तकनीक प्रदर्शनी 29 और 30 को सितम्बर को आयोजित की जा रही है।
स्वच्छता कार्य में जुड़े निजी संस्थाओं और बेहतर काम करने वाले नगर निगम कमिश्नरों का एक तकनीकी सत्र भी है। इस सत्र में भोपाल के नगर निगम कमिश्नर केव्हीएस चौधरी को विरासत अपशिष्ट (भानपुर खंती) कचार के प्रबंधन और इंदौर नगर निगम कमिश्नर प्रतिभापाल को बायोडिग्रेबल कचरे प्रबंधन (सीएनजी संयंत्र) पर अनुभव साझा करने के लिए बुलाया गया है। इसके अलावा बायोडिग्रेबल वेस्ट के लिए पूने, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन और उसको अलग-अलग करने के लिए मैसूर, सूखा कचरा प्रबंधन के लिए पूने के नगर निगम कमिश्नर अनुभव साझा करने के लिए बुलाया गया है। इन नगर निगमों ने कचरा प्रबंधन पर उल्लेखनीय कार्य किया है। इनके द्वारा किए गए कार्यों का एक डाक्युमेंटेशन तैयार किया जाएगा, जिसे सभी नगरीय निकायों को इस तरह के प्रयोग के लिए भेजा जाएगा।


कचरे से सीएनजी तैयार करने वाला देश का पहला संयंत्र
गीले कचरे का उपयोग कर सबसे बड़े बायो कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (बायो सीएनजी) प्लांट लगाने वाले इंदौर पहला शहर है। इससे 1700 किलो सीएनजी गैस प्रतिदिन तैयार होने की क्षमता है। सरकार नगर निगम सीएनजी बसे चलाने के प्रयास में हैं। हालांकि इस प्लांट से 60 फीसदी ही मीथेन की मात्रा तैयार हो पा रही है , जबकि बस चलाने के लिए 90 फीसदी मीथेन की मात्रा होना जरूरी है। धीरे धीरे निकाय इससे तैयार सीएनजी को शुद्धीकरण (प्यूरिफायर) यूनिट में लाया जाएगा।

50 वर्ष के कचरे के डंपिंग स्टेशन को बनाया पर्यटन क्षेत्र
भानपुर खंती जहां 50 वर्षों से लाखों टन कचरे का डंपिंग स्टेशन था, जिसका कई किलोमीटर तक दुर्गंध आती थी। नगर निगम ने वहां अब उसे वैज्ञानिक ढंग से उपचारित कर उस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित कर दिया है। कचरे का प्लास्टिक वेस्ट, लोहा, खाद, सहित अन्य चीजें निकाल कर कटेग्राइज्ड किया और उसे निजी कंपनियों को बेच दिया। जमीन के अंदर कचरे का पानी न जाए, इसका भी वैज्ञानिक उपचार किया गया है।