आज हम आपको ले जा रहे हैं भोपाल की ऐसी ही ऐतिहासिक धरोहर में जहां आज भले ही खंडहर है, लेकिन इन खंडहरों में कभी शाही अंदाज दिखा करता था। कभी नवाबी महफिलों से आबाद रहने वाला भोपाल का ताजमहल आज खंडहर की शक्ल ले चुका है। यहां अब टूरिस्ट भी नहीं आते। आलम ये कि बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर ने राजकुमार राव, अपारशक्ति खुराना के साथ पंकज त्रिपाठी के साथ जब ताजमहल में एंट्री ली तो अंदर जाने से पहले उन्हें लंबे बालों का जुड़ा बांधकर ही महल के खंडहरों में जाने की परमिशन मिली थी। आप भी जानें मुगल वास्तुकला की एक अद्भुत मिसाल भोपाल के ताजमहल की ऐतिहासिक रोचक गाथा और वर्तमान का हाल-ए-मंजर भी।
नवाब शाहजहां बेगम ने बनवाया था 120 कमरों का ताजमहल
प्यार की मिसाल के तौर पर आगरा का ताजमहल दुनिया भर में जाना जाता है। लेकिन भोपाल में बने ताजमहल इसलिए मशहूर रहा क्योंकि इसका निर्माण भोपाल की नवाब शाहजहां बेगम ने करवाया था। खुद उन्होनें इसकी दरो-दीवार को करीने से तैयार करवाया था। इस भव्य ताजमहल में 120 कमरों के अलावा आठ बड़े हॉल भी हैं। इनमें शीश महल और सावन-भादो मंडप शामिल है। महल की वास्तुकला ब्रिटिश, फ्रेंच, मुगल, अरबी और हिंदू प्रभावों का एक अनूठा संयोजन है। इस खूबसूरत से महल को काफी बारीकी से बनाया गया था, लेकिन अब महल को किसी की बुरी नजर लग चुकी है। रख रखाव में कमी के कारण आज नवाबी इतिहास की कहानी कहता महल खंडहर की शक्ल ले चुका है। अपनी खूबसूरती के साथ अब भोपाल की ये ऐतिहासिक इमारत अपनी पहचान भी खोती जा रही है। एएसआई (Archaeological Survey of India) के अधिकारियों ने इस मामले पर कुछ भी नहीं कहना चाहते।
आज लोग कहते हैं ये हैं ताजमहल में साए रहते हैं
आपको बता दें कि भोपाल के इस ताजमहल में राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर स्टारर स्त्री और स्त्री 2 की शूटिंग हूई थी। इस दौरान एक इंटरव्यू में खूद श्रद्धा कपूर ने कहा था कि उन्हें ताजमहल में शूटिंग करते बड़ा मजा आया। उन्होंने बताया था कि शूटिंग की परमिशन इसी शर्त पर मिली थी कि रात में कोई भी यहां अकेला नहीं घूमेगा। न कोई परफ्यूम लगाएगा और न ही श्रद्धा कपूर बाल खोलकर रखेंगी। क्योंकि यहां रात के साए में असर है…यानी रात में यहां रूह घूमती हैं। हालांकि इन बातों में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता, लेकिन श्रद्धा कपूर और पूरी टीम को ये शर्तें माननी पड़ीं।
ये फैक्ट भी हैं इंट्रेस्टिंग
– भोपाल स्थित ताजमहल का निर्माण बेगम के निवास के रूप में किया गया था। – इसकी लागत उस वक्त 3,00,000 रुपए थी – यह 13 साल में बनकर तैयार हुआ था – सन 1871 से लेकर 1884 तक यह उस समय के सबसे बड़े महलों में से एक था। – इस महल का शुरुआती नाम राजमहल था, लेकिन भोपाल के बर्तानिया अध्यक्ष ने इसकी वास्तुकला से प्रभावित होकर इसका नाम ताजमहल रखने का सुझाव दिया था।
– भोपाल की बेगम ने उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए इसका नाम ताजमहल रख दिया। – बेगम ने इस महल का निर्माण पूरे होने पर तीन साल तक चलने वाले जश्न को जश्न-ए-ताज महल नाम दिया था।
-आज ये ताजमहल पूरी तरह से बंद है और यहां कोई नहीं जाता।