पत्रिका की खबरों का असर-महेश्वर पॉवर प्रोजेक्ट से एस.कुमार्स को हटाया  

- कंपनी ने तय समय सीमा में नहीं किया भुगतान- केंद्र व राज्य सरकार मिलकर रखेंगे नियंत्रण 

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Oct 31, 2015


खरगोन.
पत्रिका की खबरों का बड़ा असर हुआ है। सरकार ने महेश्वर विद्युत परियोजना (प्रोजेक्ट) की निर्माणकर्ता कंपनी एस. कुमार्स को इस परियोजना से हटा दिया है। कंपनी को प्रोजेक्ट से जुड़े रहने और काम करने के लिए 1700 करोड़ की राशि का भुगतान वित्तीय संस्थाओं और बैंकों को करना था लेकिन तय समय सीमा (2 अगस्त) तक की स्थिति में राशि का भुगतान नहीं हुआ। इसके चलते एस. कुमार्स को प्रोजेक्ट से हटा दिया गया है।अब परियोजना पर केंद्र व राज्य सरकार का नियंत्रण हो गया है।केंद्र व राज्य मिलकर परियोजना के काम को देखेंगे। उल्लेखनीय है कि परियोजना की शुरूआत सर्वप्रथम राज्य सरकार ने की थी।बाद में सरकार और एस. कुमार्स के बीच अनुबंध हुआ और प्रोजेक्ट निजी कंपनी को सौंप दिया।इसके बाद से एस. कुमार्स प्रोजेक्ट को डील कर रही थी। v

उच्च स्तरीय समिति ने दी रिपोर्ट
बीते 20 वर्षों से एस. कुमार्स प्रोजेक्ट महेश्वर बांध का काम कर रही थी। लेकिन पिछले पांच वर्षों से काम बिलकुल ठप्प था।इसके बाद प्रदेश सरकार द्वारा अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। समिति ने परियोजना के लिए शर्त रखी कि एस. कुमार्स निवेश पूंजी की रकम 6 करोड़ व 1100 करोड़ के कर्ज की राशि की व्यवस्था करंे। इस संबंध में 8 सितंबर 2015 को दिल्ली में वित्तीय संस्थाओं व बैंकों की महत्वपूर्ण बैठक हुई।इसमें निर्णय लिया गया कि एस. कुमार्स को 2 अगस्त 2015 छूट दे दी जाए, लेकिन तय सीमा तक कंपनी राशि की व्यवस्था करने में असमर्थ रही।

सरकार के निर्णय का किया स्वागत
महेश्वर प्रोजेक्ट के संबंध में आए आदेश का नर्मदा बचाओ आंदोलन ने स्वागत किया है।आंदोलन के वरिष्ठ पदाधिकारी व समाजसेवी अलोक अग्रवाल ने कहा कि सरकार के अधीन प्रोजेक्ट का काम होने से प्रदेश की जनता को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध होगी। क्योंकि वर्ततान में बांध से जो बिजली पैदा हो रही थी, उस पर प्राइवेट कंपनी 13 रु. प्रति यूनिट पर की राशि वसूल रही थी। आंदोलन की ओर से इसका लगातार विरोध किया जा रहा था।

यह थी तीन शर्ते
सरकार ने कंपनी के सामने तीन महत्वपूर्ण शर्तें रखी थी। इसमें पहली शर्त यह थी कि कंपनी 600 करोड़ की पूंजी और 100 करोड़ रु. के ऋण की व्यवस्था कर ले, तो प्रोजेक्ट पर आगे भी कंपनी काम करेगी। दूसरा विकल्प यह था कि कंपनी के भुगतान नहीं करने पर केंद्र व राज्य सरकार का नियंत्रण होगा। इसमें पंूजी निवेश केंद्र व राज्य सरकार मिलकर करेगी। तीसरे व आखिरी बिंदू यह था कि पंूजी के अभाव में परियोजना को रद्द कर दिया जाए।

सस्ती बिजली व पुनर्वास की मांग
महेश्वर बांध के दायरे में 6 1 गावों के लगभग 10, 000 परिवार आते हंै। इनके उचित पुनर्वास व विस्थापन की मांग करते हुए नबआं द्वारा लंबी लड़ाई लड़ी जा रही है। आंदोलन की दो प्रमुख मांगे रही है इसमें सस्ती बिजली व प्रभावितों का पुनर्वास।पुनर्वास पर 979 करोड़ रु. खर्च होना बाकी है।अलोक अग्रवाल ने बताया कि नए भू-अर्जन कानून के तहत प्रभावितों के पुनर्वास पर 1500 से 2000 करोड़ रु. तक का खर्च आएगा। हमारी मांग है कि सरकार इस राशि का वहन कर जनता को 3.50 रु. यूनिट की सस्ती बिजली उपलब्ध कराए।

पत्रिका ने की थी एक-एक कारगुजारी उजागर
महेश्वर प्रोजेक्ट की तमाम अनियमितताओं को पत्रिका ने अपनी खबरों के जरिए उजागर किया था। इस प्रोजेक्ट की खामियों को अफसर और नेता मिलकर लगातार छिपाने की कोशिश कर रहे थे।


Published on:
31 Oct 2015 07:15 pm
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