- केन्द्र सरकार दो वर्ष तक और बढ़ा सकती है खदान से हीरा उत्खनन चालू करने की समय सीमा- खदान चालू होने पर सरकार को प्रति वर्ष मिलेंगे 472.65 करोड़ रुपए
भोपाल। बिड़ला कंपनी को छतरपुर बंदर खदान से हीरा उत्खनन तीन वर्ष के अंदर चालू करना है। कंपनी को हीरा उत्खनन करने के लिए दी गई तय समय सीमा 20 अगस्त 2022 समाप्त हो रही है। अगर यह खदान चालू हो जाती तो प्रदेश सरकार को 472.65 करोड़ रुपए प्रति वर्ष मिलते। ढाई वर्ष सिर्फ भारत सरकार के पत्राचार और सवाल जवाब में बीत गए। अब यह गेंद केन्द्र सरकार के पाले में है, समय सीमा बढ़ाती है अथवा नहीं। सरकार भी समय सीमा सिर्फ दो वर्ष के लिए बढ़ा सकती है, यानी की वर्ष 2024 तक कंपनी को तमाम तरह की अनुमतियां लेकर खदान चालू करना है। कंपनी अगर पांच वर्ष के अंदर तमाम तरह की अनुमतियां नहीं ले पायी तो उसका भी हाल रियोटेंटो जैसे हो सकता है।
बिड़ला बंदर हीरा खदान का मामला दो साल पहले जहां था, आज भी उसी स्थिति में है। तमाम विरोधों के बाद इस खदान के अनुमतियों की गति काफी धीमी पड़ गई है। केन्द्र सरकार पिछले दो वर्षों से सिर्फ पत्राचार कर रही है। पहले वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कंपनी से सवाल किया कि खदान का रकबा कम कैसे किया जा सकता है, जितने पेड़ कटने का प्रस्ताव है, उनमें से इसे कम कैसे किया जा सकता है। दोनों मामलों में कंपनी का जवाब यही था कि इन दोनों को कम नहीं किया जा सकता है। इसके बाद यह कहा गया कि स्थानीय लोगों का कहना है कि पेड़ों की कटाई से ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाएगी, इस पर कंपनी का कहना था कि पौधरोपण के लिए जमीन और राशि दी जा रही है, इससे भरपाइ की जाएगी।
केन्द्र ने दिया अंडरग्राउंड माइनिंग का प्रस्ताव
केन्द्र सरकार ने अब बिड़ला कंपनी को कोयले की तरह हीरे का भी अंडर ग्राउंड उत्खनन का प्रस्ताव दिया है। यह भी कहा है कि अंडर ग्राउंड माइनिंग से वन और पर्यावरण को भी बचाया जा सकेगा। इस प्रस्ताव पर भी कंपनी ने कहा कि हीरे की अंडर ग्राउंड माइनिंग नहीं की जा सकती है। केन्द्र सरकार इस मामले में विचार कर रही है।
एडवाइजरी कमेटी का निर्णय होगा अंतिम
वन एवं पर्यावरण की अनुमति के बाद सुप्रीम कोर्ट के अधीन गठित फारेस्ट एडवाइजरी कमेटी इसका परीक्षण करेगी। परीक्षण रिपोर्ट के बाद ही बिड़ला कंपनी को हीरा उत्खनन करने के संबंध में अनुमति दी जा सकेगी। सैद्धांतिक स्वीकृति के बाद ही खदान चालू हो पाएगी। इस मामले में करीब तीन वर्ष का समय लग सकता है।