जबकि बसपा, सपा सहित अन्य तीसरा मोर्चा लोकसभा चुनाव दौरान चुप बैठ गया है। शिकायत के लिए बनाया गया सी-विजिल ऐप, टोल-फ्री नम्बर पर अभी तक चुनाव आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी कोई विशेष शिकायतें आयोग के पास नहीं आई हैं।
राजनैतिक पार्टियों के द्वारा की गई करीब 28 से ज्यादा शिकायतों की अभी भी जांच रिपोर्ट आयोग को नहीं मिली हैं। यह शिकायतें सरकार, बड़े नेताओं और अधिकारियों से जुड़ी हुई हैं। चुनाव के दौरान अक्सर ऐसा होता है कि कई गंभीर तरह की शिकायतें की जांच रिपोर्ट शासन से आयोग के पास नहीं भेजी जाती हैं, कई शिकायतों को आयोग खुद नस्तीबद्ध कर देता है।
विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों ने 668 शिकायतें की थी, जिसमें 561 शिकायतें पर आवश्यक कार्रवाई के लिए शासन के पास आयोग ने प्रस्ताव भेजा था और 207 शिकायतों की जांच प्रतिवेदन देने के लिए कहा था, लेकिन इनमें से 77 के जांच प्रतिवेदन अभी तक आयोग को नहीं मिले हैं। निराधार शिकायतें के चलते आयोग खुद 130 शिकायतों को नस्तीबद्ध कर दिया है।
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शिकायत में आगे थी कांग्रेस
विधानसभा चुनाव के दौरान शिकायत करने के मामले में कांग्रेस पार्टी सबसे आगे थी। कांग्रेस ने चुनाव आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी करीब 363 शिकायतें की थी, जिसमें 43 शिकायतों के जवाब अभी तक आयोग ने नहीं दिए हैं।
दूसरे नम्बर पर भाजपा है, जिसकी 149 शिकायतें दर्ज हुई थी, जिसमें 20 शिकायतें का जवाब नहीं मिला है। सबसे कम 8 शिकायत समाजवादी पार्टी ने की थी। वहीं अन्य राजनैतिक दलों ने 67, आम आदमी ने 12, बहुजन समाजवादी पार्टी ने 24 शिकायतें की थी।
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टोल-फ्री नम्बर पर वोटर लिस्ट की शिकायतें
वर्तमान में आयोग के टोल फ्री नम्बर पर सबसे ज्यादा शिकायतें मतदाता सूची में नाम जुड़वाने, संशोधित कराने की आ रही हैं। इसके अलावा इस नम्बर पर लोग अपनी विभिन्न तरह की पानी, सीवेज, राशन कार्ड जैसे अन्य समस्याओं को भी रजिस्र्ड करा रहे हैं।