
Board will understand the advantages and disadvantages of Metro Rail
भोपाल। भोपाल-इंदौर में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के पहले फेज का काम शुरू करने से पहले मध्यप्रदेश को केंद्र सरकार के पब्लिक इंवेस्टमेंट बोर्ड के सामने प्रोजेक्ट का वित्तीय प्रबंधन प्रस्तुत करना होगा। सितंबर के पहले पखवाड़े में दिल्ली में होने जा रही इस बैठक में मेट्रो प्रोजेक्ट संचालित करने वाले बाकी रा’यों सहित एमपी मेट्रो रेल कार्पोरेशन के शीर्ष अधिकारियों को बुलाया गया है।
पीआइबी केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ही एक शाखा है, जो मंजूरी प्राप्त प्रोजेक्ट के कर्ज वापसी, आमदनी और मितव्ययिता जैसे मुद्दों पर फैसले लेती है। एमपी मेट्रो रेल कार्पोरेशन पीआइबी के सामने हाल ही में मंजूर ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट पॉलिसी को मेट्रो प्रोजेक्ट की कर्ज वापिसी की योजना के तौर पर पेश करेगा।
सरकार का दावा है कि टीओडी के तहत मिक्स लेंड यूज देकर मेट्रो स्टेशनों के आसपास बाजार, आवास, दफ्तर, पार्र्किंग जैसी सुविधाएं देंगे। इससे होने वाली आमदनी से मेट्रो प्रोजेक्ट का कर्ज चुकाने में सहायता मिलेगी।
सरकार के इस तरह के हैं दावे
पहले फेज के प्रस्तावित क्षेत्रों में मिक्स लैंड यूज के जरिए हाइराइज इमारतें बनेंगी। बाजार व सरकारी दफ्तरों के लिए विशेष क्षेत्र विकसित होंगे। इन क्षेत्रों में एफएआर की दरें दोबारा निर्धारित होंगी। करोंद से एम्स टीओडी ओरिएंटेड सर्वे किया जाएगा।
ये काम शहरी विकास मंत्रालय की ओर से तैयार 12 बिंदु वाली गाइड लाइन के आधार पर होगा। दिल्ली, नोएडा, कोलकाता, चेन्नई, पुणे, मुंबई सहित बड़े महानगरों में टीओडी मॉडल विकसित किए गए हैं। इनसे आम नागरिकों को सोशल सिक्योरिटी और बेहतर कनेक्टिविटी देने की कोशिश की जा रही है।
भोपाल में पहला फेज 6962 करोड़ की लागत के साथ पूरा होगा। इसके लिए रा’य और केंद्र सरकार 40 प्रतिशत अनुदान जबकि 60 प्रतिशत राशि कर्ज से मिलेगी। संभवत: 6 डिब्बों वाली मेट्रो में एक बार में 1200 यात्री सवार हो सकेंगे। ये रेल 100 मीटर के टर्निंग रेडियस पर मुड़ सकेगी और 6 डिग्री के झुकाव के साथ किसी भी ढलान को पार कर लेगी। मेट्रो रेल का टाइम टेबल सुबह 5 बजे से रात 12 बजे के बीच निर्धारित किया जाएगा।
वित्तीय प्रबंधन पर चर्चा बाकी है
वित्त मंत्रालय की एनओडी आधारित मंजूरी मिलने के बाद पीआईबी में वित्तीय प्रबंधन पर चर्चा बाकी है। प्रोजेक्ट की सभी जानकारियां भेजी जा चुकी हैं।
जितेंद्र दुबे, ईएनसी, मेट्रो रेल कार्पोरेशन
Published on:
06 Aug 2018 07:26 am
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