6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

खुदाई में खराब हुई सड़कों की भरपाई निकायों से

- लोक निर्माण विभाग ने निकायों के सामने रखेगा डिमांड- भोपाल और इंदौर में अकेले 70 सड़कें हुई खराब

2 min read
Google source verification

भोपाल

image

Ashok Gautam

Oct 18, 2022

सिणधरी मुख्य कस्बे कामधेनु सर्किल पर खड़ी बसें

सिणधरी मुख्य कस्बे कामधेनु सर्किल पर खड़ी बसें

भोपाल। सीवरेज, पानी और पाइप लाइन सहित अन्य अंडर ग्राउंड पाइप लाइन डालने के चलते लोक निर्माण विभाग की करीब दो सौ करोड़ की सड़के गड्ढे में चली गई हैं। भोपाल और इंदौर नगर निगम की अकेले सत्तर सड़कें हैं, जो खुदाई के चलते खराब हुई हैं। हालांकि विभाग खराब हुई सड़कों की मैदानी अधिकारियों से विस्तार से रिपोर्ट बुलाई गई है। खुदाई के चलते खराब हुई सड़कों के रिपेयर कराने के लिए लोक निर्माण विभाग ने इस निकायों से राशि की डिमांड करने की तैयारी कर रहा है।
विभागों को निर्देश हैं कि जब भी सड़कों की विकास कार्यों के लिए सड़कों की खुदाई की जाए तो इसकी सूचना लोक निर्माण विभाग सहित अन्य निर्माण एजेंसियों को दी जाए और इसकी बाकायदा अनुमाति भी ली जाए, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है। नियमों में प्रावधान नहीं होने से नगरीय निकाय और खुदाई करने वाली एजेंसियां भी इसे नरजअंदाज करती हैं। वे शहरी क्षेत्रों में नगरीय निकायों से खुदाई की अनुमति लेकर अपने आप को सुरक्षित कर लेती हैं। सड़कों पर लिखा यह भी लिखा होता है कि ये सड़कें किसकी हैं, लेकिन कंपनियां इसको नरजअंदाज करती हैं। हालांकि सड़कों की खुदाई के निर्माण में आने वाली लागत राशि को कंपनियां निकायों कोष में जमा कर देती है अथवा उन्हें री-रेस्टोरेशन कराने के संबंध में अनुबंध करती हैं। हालांकि कंपनियों जो री रेस्टोरेशन करती हैं वो टिकाऊ नहीं होता है।


हर साल की समस्या, जनता परेशान
खुदाई से सड़कें खराब होने की समस्या हर साल होती है। इसके संबंध में सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है। खुदाई के बाद सड़कें दुरूस्त नहीं करने पर कोई बड़ी कार्रवाई के प्रावधान नहीं होने से कंपनियां गंभीरता से नहीं लेती हैं। इसके अलावा रिपेयरिंग में जो मटेरियल यूज करते हैं वो काम चलाऊ होता है। इससे कंपनियां तो उसे बना देती हैं, लेकिन ये कितने दिन तक चलती हैं इसकी भी कोई गारंटी नहीं होती है। इसके लिए सरकार बकायदा एक्ट लागू नहीं करेगा तब तक इसमें सुधार होना मुश्किल है।

विभागों में आपस में समन्वय नहीं
लोक निर्माण, नगर निगम, प्राधिकरण सहित अन्य सड़क निर्माण एजेंसियों में आपस में समन्वय नहीं होने का खामियाजा जनता को उठाना पड़ता है। सड़कें खुदने के बाद जब आम जनता शिकायतें करती है तो पता यह चलता है कि ये सड़कें तो फलां एजेंसी के अधीन है। इससे जनता सड़कें ठीक कराने के लिए एजेंसियों के दरबाजे -दरबाजे घुमती हैं।

खुदाई और बारिश से खराब हुई सड़कों का अंतिम डाटा इसी हफ्ते आ जाएगा। इसके बार खुदाई में खराब हुई सड़कों के निर्माण की लागत रा?शि संबं?धित एजेंसी से लिया जाएगा।
नरेन्द्र कुमार, ईएनसी, लोक निर्माण विभाग