
भोपाल. बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी (बीयू) हर साल सात लाख से अधिक छात्रों को डिग्री, मार्कशीट और माइग्रेशन सर्टिफिकेट देने के लिए करीब 140 क्विंटल कागज का इस्तेमाल करती है। पर्यावरणविदों के अनुसार इतना कागज तैयार करने के लिए प्रतिवर्ष साढ़े तीन हजार पेड़ काटे जाते हैं। अकेले राजधानी में ही माखन लाल, आरजीपीवी, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय सहित कई अन्य निजी विश्वविद्यालय हैं। यहां भी लाखों छात्र अध्ययन करते हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रतिवर्ष केवल डिग्रियों के बांटने के लिए हजारों पेड़ों की बलि चढ़ जाती है। पर्यावरण के नुकसान से बचने के लिए अब बीयू ऑनलाइन दस्तावेज देने की व्यवस्था करने जा रहा है।
प्रिंटेड डिग्री का भी विकल्प: छात्र चाहें तो प्रिंटेड डिग्री ऑफलाइन ले सकते हैं। डिजिटल डिग्री के बाद इसे नि:शुल्क लिया जा सकेगा।
इस तरह बचाएंगे पर्यावरण
बीयू में एक छात्र की डिग्री, मार्कशीट के दस्तावेज तैयार करने में कागज के 5 के प्रिंट निकलते हैं। साल भर में कम से कम 7 लाख से अधिक छात्रों के लिए लगभग 35 लाख कागज के प्रिंट (140 क्विंटल कागज) लगता है। दस्तावेजों को के लिए इतने ही लिफाफे लगते हैं। डिजिटल होने से यह कागज बचेगा।
दो मनट में ऑनलाइन मिलेंगे दस्तावेज
नई व्यवस्था के तहत बीयू डिजी लॉकर के जरिए विद्यार्थियों को डिजिटल डिग्री सहित अन्य दस्तावेज देगा। कुलपति, रजिस्ट्रार के ई-सिग्नेचर के साथ यह दस्तावेज डिजी लॉकर में अपलोड होगें। निश्चित राशि के भुगतान के बाद छात्रों को दो मिनट में दस्तावेज दुनियाभर के किसी भी कोने में मिल जाएगा।
प्रतिवर्ष कटने से बचेंगे लाखों पेड़
विश्वविद्यालय और कॉलेज में 50 फीसदी काम ऑनलाइन करने से प्रतिवर्ष लाखों पेड़ कटने से बच सकते हैं। दस्तावेजों में कम से कम 10 पेज की खपत होती है। मोटे तौर पर हर यूनिवर्सिटी में 200 से 300 क्विंटल कागज ऐसे कामों के लिए उपयोग होता है। यह व्यवस्था डिजिटल हो जाए तो पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है।
Published on:
08 Jan 2024 05:45 pm
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