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Babulal gaur real story : इसलिए कहलाए बुलडोजर मंत्री

locationभोपालPublished: Aug 22, 2019 07:37:37 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

bulldozer minister babulal gaur real story of life journey – हर बात बेबाकी…अंतिम सफर पर, लोग कहते थे सियासत का ‘बाहुबली’
शराब कंपनी में करते थे काम, उपचुनाव जीत पहली बार बने विधायक
लगातार दस बार विधायक चुने जाने का रेकॉर्ड कायम

Babulal gaur real story : इसलिए कहलाए बुलडोजर मंत्री

Babulal gaur real story : इसलिए कहलाए बुलडोजर मंत्री

भोपाल. बाबूलाल गौर हर बात में बेबाक थे। दूसरे तो दूसरे अपनों को भी खरी-खरी सुनाने में नहीं हिचकते थे। राजनीति में ऐसा सिक्का जमाया कि लगातार दस बार विधायक चुने जाने का रेकॉर्ड कायम किया। कहते हैं प्रखर समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण (जेपी) के आशीर्वाद के बाद गौर कभी कोई चुनाव नहीं हारे।
मध्यप्रदेश में शराब की दुकान पर काम करने उत्तरप्रदेश से आया एक लडक़ा न सिर्फ मध्यप्रदेश, बल्कि देश में बुलडोजर मंत्री के नाम से प्रसिद्ध हुआ फिर एक दिन मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा। उनका जीवन किस्सों से भरा पड़ा है। यही किस्से अब मित्र, परिचित, राजनेता याद कर रहे हैं।
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Babulal gaur real story : इसलिए कहलाए बुलडोजर मंत्री

 

इसलिए कहलाए बुलडोजर मंत्री

बाबूलाल गौर पहली बार 1990 में सुंदरलाल पटवा सरकार में मंत्री बने। 1992 तक मंत्री रहे। इस दौरान गौर की पहचान पूरे देश में बुलडोजर मंत्री के रूप में हुई। स्थानीय शासन मंत्री रहते हुए उन्होंने प्रदेश में अतिक्रमण हटाने को लेकर सख्त रवैया अपनाया था। इसे लेकर कई किस्से सुनाए जाते हैं।

 

बताया जाता है कि भोपाल के गौतम नगर में अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए गौर ने सिर्फ बुलडोजर खड़ा कर इंजन चालू करा दिया और अतिक्रमण अपने-आप गायब हो गया। वीआईपी रोड पर झुग्गियां आड़े आईं तो भी बुलडोजर चलवाया। बुलडोजर चलाने में अधिकारी पीछे हट जाते थे, लेकिन गौर ने समझौता नहीं किया। बुलडोजर रोकने को नोटों से भरे सूटकेस आते थे, लेकिन बुलडोजर रुकते नहीं थे। एक किस्सा जो गौर स्वयं पत्रकारों को सुनाते थे। बड़े तालाब के किनारे झुग्गियां थीं। गटर बन जाने का खतरा था। उसी बीच आंध्रप्रदेश में हिंसा हो गई।

 

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Babulal gaur real story : इसलिए कहलाए बुलडोजर मंत्री

उपद्रव संभालने के लिए सीआरपीएफ के 5 हजार जवान लखनऊ से विजयवाड़ा जा रहे थे। बीच में ट्रेन बदलने के लिए उन्हें दो दिन भोपाल में रुकना पड़ा। उनके रहने की व्यवस्था भोपाल में ही होनी थी। बाबूलाल गौर ने इकबाल मैदान में ठहराया और बड़े तालाब के पास फुल ड्रेस में मार्च करा दिया। बताते हैं तब अतिक्रमणकारियों ने स्वयं ही कब्जा हटाना शुरू कर दिया।

 

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शराब कंपनी में करते थे काम

बा बूलाल गौर अपने पिता के साथ 1938 में महज 9 वर्ष की उम्र में उत्तप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के नौगीर गांव से मध्यप्रदेश पहुंचे थे। शराब कंपनी में काम करने के लिए उन्होंने अपना गांव और राज्य दोनों ही छोड़ दिए। मध्यप्रदेश में आए तो 16 साल की उम्र में संघ की शाखा में जाने लगे। संघ के पदाधिकारियों ने सलाह दी कि शराब की दुकान पर काम करना ठीक नहीं। तो वह काम छोडकऱ भोपाल में एक कपड़ा मिल में मजदूरी की। यहीं से ट्रेड यूनियन की राजनीति से जुड़े और अपने संघर्ष की बदौलत मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

 

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उपचुनाव जीत पहली बार बने विधायक

गौर जिस कपड़ा मिल में काम करते थे वहां एक रुपया दिहाड़ी मिलती थी। जिस दिन हड़ताल पर रहते उस दिन की मजदूरी कट जाती। इसी बीच वे राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस में चले गए, वहां की राजनीति समझ नहीं आई। गौर संघ से जुड़े ही थे। गोवा मुक्ति आंदोलन में भी भाग लिया था। इसी बीच संघ के अनुशांगिक भारतीय मजदूर संघ की स्थापना हुई। गौर संस्थापक सदस्यों में शािमल हुए।

तब तक उन्होंने बीए-एलएलबी भी कर लिया। गौर का चुनावी सफर शुरुआत में मुश्किलों भरा रहा। 1956 में पार्षद का चुनाव हारे। 1972 के विधानसभा चुनाव में जनसंघ के टिकट पर भी गोंविदपुरा सीट से चुनाव हार गए। गौर ने कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे वे जीत गए। 1974 में उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने।

 

Babulal gaur real story : इसलिए कहलाए बुलडोजर मंत्री

 

आपातकाल के समय 27 जून 1975 को गौर गिरफ्तार होकर जेल पहुंचे। तब तक वे जेपी की नजरों में आ चुके थे। रिहा होने के बाद जेपी ने उन्हें फोन लगाकर चुनाव लडऩे के लिए कहा। गौर ने कहा, मैं तो जनसंघ का आदमी हूं। वही तय करेंगे मेरे बारे में। इसके बाद गौर ने कुशाभाऊ ठाकरे से पूछा। ठाकरे ने गेंद लालकृष्ण आडवाणी के पाले में डाली। आडवाणी ने जयप्रकाश से बात की और नतीजा ये रहा कि अगले चुनावों में बाबूलाल जनता पार्टी से चुनाव लड़े और जीते।

 

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राजनीतिक गतिविधियां: लगातार 10 बार गोविन्दपुरा से विधायक

गोवा मुक्ति आंदोलन के सत्याग्रह में शामिल हुए।
1948 से श्रमिक संगठनों के आंदोलनों में सक्रिय हुए।
भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्य बने।
1951 से भारतीय जनसंघ में सक्रिय हुए।
1972 में गोविंदपुरा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव हारे।
1974 में उपचुनाव में पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद 1977, 1980, 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2008 और 2013 में लगातार विधायक निर्वाचित हुए।

 

Babulal gaur real story : इसलिए कहलाए बुलडोजर मंत्री

मार्च 1990 से दिसंबर 1992 तक सुंदरलाल पटवा सरकार में विभिन्न विभागों के मंत्री रहे।
1993 में दसवीं विधानसभा में भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक और लोकलेखा समिति के सभापति बने।
सितंबर 2002 से दिसंबर 2003 तक नेता प्रतिपक्ष रहे।
2003 में उमा भारती सरकार में नगरीय प्रशासन, आवास, गृह, विधि एवं श्रम मंत्री रहे।
23 अगस्त 2004 से 28 नवंबर 2005 तक मुख्यमंत्री रहे।
29 नवंबर 2005 से वाणिज्य, उद्योग मंत्री, 2008 में नगरीय प्रशासन मंत्री। 2013 में शिवराज सरकार में गृह एवं जेल मंत्री।
रूस, श्रीलंका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, आस्ट्रिया, बेल्जियम, हॉलैंड, जापान, चीन, सिंगापुर की यात्रा।

 

बाबूलाल गौर जीवन परिचय

जन्म: 2 जून 1929
जन्म स्थान: ग्राम नौगीर, जिला-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
पिता का नाम:
श्री रामप्रसाद यादव
पत्नी: स्व. श्रीमती
प्रेमदेवी गौर
संतान: एक पुत्र, दो पुत्रियां
शिक्षा: बीए, एलएलबी
व्यवसाय: वकालत

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