23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बड़ा खुलासा; एमपी का बुंदेलखंड है अदृश्य सरस्वती नदी का उद्गम स्थल

जमीन के अंदर बहकर सरस्वती नदी सीधे त्रिवेणी के पास निकली, भूजल वैज्ञानिक ने रिसर्च कर किया साबित

less than 1 minute read
Google source verification
saraswati.png

जमीन के अंदर बहकर सरस्वती नदी सीधे त्रिवेणी के पास निकली

सुनील मिश्रा, भोपाल . अदृश्य हुई सरस्वती नदी के बारे में बड़ा खुलासा हुआ है। भूमिगत प्रवाह वाली यह नदी प्रयागराज में त्रिवेणी के पास प्रकट होती है। लंबे शोध के बाद यह सामने आया है कि सरस्वती का उद्गम स्थल एमपी का बुंदेलखंड है। सरस्वती का सीधा जुड़ाव एमपी के छतरपुर जिले के भीमकुंड से है। रिसर्च में इस बात की पुष्टि के लिए कई तथ्य बताए गए हैं।

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. सुभाष चंद्र सिंह ने अपनी रिसर्च में यह साबित किया है। भोपाल निवासी डॉ. सिंह का यह रिसर्च इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ हाइड्रोजियोलॉजिस्ट के जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसे नागपुर में विज्ञान कांग्रेस में भी प्रस्तुत किया है।

निकलती है सरस्वती, रिसर्च में इन तथ्यों से हुई पुष्टि
● भीमकुंड में कितनी भी गंदगी हो, आधे घंटे में साफ हो जाती है, इससे प्रवाह का पता चलता है।
● भीमकुंड में पानी की समुद्रतल से ऊंचाई 430 मीटर है। इससे स्पष्ट है कि भूमिगत पानी का फ्लो प्रयाग की तरफ है।
● गुप्त गोदावरी में पानी लगातार बह रहा है, लेकिन कहां जाता है अभी तक पता नहीं चला।
● अध्ययन में बड़ा मलहरा और प्रयाग में एक जैसी चूना पत्थर की चट्टानें पाई गई हैं, जो बिजावर व विन्ध्यन युग की हैं।
● रिसर्च में पाया गया कि केन नदी भीमकुंड से प्रयाग की ओर जाने वाले लाइनामेंट को पन्ना जिले में जहां क्रॉस करती है, वहीं से उसमें पानी कम हो गया। जबकि प्रयाग के बाद गंगा नदी में पानी बढ़ जाता है।
● इस लाइनामेंट के करीब बांदा जिले में किए गए बोर में काफी मात्रा में पानी निकल रहा है।