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5 साल से चल रहे केस की सुनवाई लोक अदालत में हुई परिवादी को मिले 10 लाख रुपए

locationभोपालPublished: Mar 10, 2019 08:20:43 am

Submitted by:

Radhyshyam dangi

उपभोक्ता आयोग द्वारा आयोजित अदालत में एक ही दिन में सुलझे सालों पुराने सैकड़ों केस

भोपाल. उपभोक्ता आयोग ने शनिवार को वृहद लोक अदालत में ७५५ प्रकरणों का निराकरण किया। आयोग व जिला फोरम में पांच से आठ साल से चल रहे कई प्रकरणों का इस अदालत में एक साथ निराकरण हो गया। उपभोक्ता फोरम के अध्यख शांतनु एस केमकर के नेतृत्व में आयोजित अदालत में आम लोगों को १० लाख रुपए तक राहत मिली।
अदालत में सबसे अधिक बीमा से संबंधित प्रकरणों का हल हुआ है। रजिस्ट्रार राजीव एम आपटे ने बताया कि आयोग और जिला उपभोक्ता फोरमों में एकसाथ आयोजित अदालत में बैंकिंग, बीमा, बिजली, चिकित्सा, टेलीफोन, कृषि, ऑटोमोबाइल, हाउसिंग, एयरलाइंस, रेलवे जैसे 755 प्रकरणों का हल किया गया। आयोग में 134 प्रकरणों में न्याय दिया गया। वहीं जिला फोरम के 604 प्रकरणों में आर्थिक न्याय मिला है।
10-10 लाख का क्लेम दिलवाया
परसराम ने बिरला सन लाइफ इंशुरेंस से बीमा पॉलिसी ली थी, लेकिन क्लेम नहीं मिला। इसके बाद उपभोक्ता आयोग में केस दायर किया। 2012 से यह केस विचाराधीन था, लेकिन शनिवार को दोनों पार्टियों ने आपसी सहमति से 10 लाख रुपए में सेटलमेंट कर लिया। आयोग ने दोनों के बीच समझौता करवाया और परसराम को 10 लाख रुपए हाथों-हाथ दिलवा दिए। वहीं एक अन्य केस में भी एक हितग्राही को बिरला सन लाइफ के ही प्रकरण में 10 लाख रुपए का क्लेम दिलवाया।
इधर, बिजली कंपनियों से संबंधित २३ प्रकरणों में आपसी समझौते के जरिए निराकरण किया गया। जबलपुर के एक बिल्डर के दो केस भी हल हुए। न्यू इंडिया इंशुरेंस के २ केस में समझौता कर निराकरण करवाया गया।
स्वामी विवेकानंद दुर्घटना समूह बीमा योजना में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के २०१२ से लंबित १३ प्रकरणों में प्रति प्रकरण ४५ हजार रुपए दिलवाए। आइसीआइसीआइ इंश्योरेंय कंपनी के भी स्वामी विवेकानंद योजना के ३५ केस का निपटारा अदालत में किया गया। इसमें हर प्रकरण में ७५ हजार रुपए दिलवाए गए हैं।
यह सभी प्रकरण २००९ से विचाराधीन थे। वहीं १७ प्रकरण एलआईसी के भी हल किए गए है, जिनमें अलग-अलग प्रकरणों में अलग-अलग राशि दिलाकर न्याय दिलाया गया है। इधर, बैंक ऑफ इंडिया के कृषि बीमा से संबंधित ७ प्रकरणों में किसानों को न्याय मिला। सेंट्रल मध्य ग्रामीण बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के ११ प्रकरणों में भी हितग्राहियों को अलग-अलग प्रकरण में अलग-अलग तरह से फोरम ने समझौता करवाकर न्याय दिलाया।

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