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वर्किंग पैरेंट्स ध्यान दें ! ऑनलाइन गेम और नशे का शौक पूरा करने के लिए भीख तक मांग रहे बच्चे

माता-पिता नहीं दे रहे पैसे तो अपनाया गलत तरीका....

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online games and drugs

भोपाल। बीते ढाई महीने में अलग-अलग स्थानों से ऐसे करीब एक दर्जन बच्चे रेस्क्यू किए गए जो अपने शौक पूरे करने भीख मांग रहे हैं। ये बच्चे अपर मिडिल क्लास परिवारों से हैं। ऑनलाइन मोबाइल गेमिंग के लिए रीचार्ज, दोस्तों संग पार्टी, नशे का सेवन करने ये गलत दिशा की और बढ़ रहे हैं। काउंसलिंग में बच्चों ने कहा कि कुछ शौक ऐसे हैं जिनके बारे में वे माता-पिता को नहीं बता सकते हैं। वहीं कुछ मामलों में माता-पिता ने उन्हें पैसे देने से इंकार कर दिया। इन बच्चों के माता-पिता कामकाजी हैं।

ऐसे में पेरेंट्स के काम पर जाते ही घर से निकल जाते हैं। ऐसा एरिया चुनते हैं जहां उन्हें कोई न पहचाने। डिजिटल पेमेंट के कारण घर में भी कैश नहीं रखते हैं। दूसरी ओर पेरेंट्स ने कांउसलिंग में कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। कुछ मामलों में बच्चों को शेल्टर होम में रखकर उनके व्यवहार को बदलने का प्रयास किया गया।

केस-1

हाल ही में नीलबड़ क्षेत्र में एक दस वर्षीय बच्चा सड़क पर पेन-पेंसिल बेचता मिला। बच्चे के पिता सरकारी विभाग में बाबू हैं और मां एक बुटीक पर काम करने जाती हैं। बच्चे को अपने फेवरेट कोरियन बैंड का फोटो एलबम खरीदना था जो तीन हजार रुपए का था। पैरेंट्स ने मना किया तो उसने पैसा इकट्ठा करने यह काम शुरू कर दिया। उसने घर से फटे-पुराने कपड़े पहने और सड़क पर घूम रहे अन्य बच्चों से दोस्ती की। फिर उनके साथ काम शुरू किया।

केस-2

14 वर्षीय बच्चा ट्रेन में भीख मांगता मिला। पिता का बिजनेस है और मां मेकअप आर्टिस्ट हैं। बच्चे ने बताया कि उसे सिगरेट और मोबाइल गेमिंग के लिए पैसे इकट्ठे करने थे। पॉकेट मनी में मिले पैसों का हिसाब मांगते थे। इसलिए एक्स्ट्रा पैसा कमाने के लिए ट्रेनों में घूमना शुरू किया। वह शाम को 6 बजे के पहले घर पहुंच जाता था ताकि घर में किसी को जानकारी न लगे।

केस-3

भीख मांगते हुए एक आठ साल के बच्चे को रेस्क्यू किया गया तो उसने बताया कि उसे गियर वाली साइकिल खरीदना थी। पैरेंट्स ने कहा कि जब पुरानी साइकिल पर पांव पहुंचना बंद हो जाएंगे, तब नई लाएंगे। पेरेंट्स उसे मोबाइल गेम के लिए भी पैसा नहीं देते। उसे अपने शौक पूरे करने उसे यही सबसे अच्छा रास्ता नजर आया।

जानिए क्या कहती हैं काउंसलर

कामकाजी माता-पिता कई बार बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं। कम्युनिकेशन गैप और अकेलेपन के कारण वे दूसरे रास्ते अपनाने लगते हैं। वहीं कुछ पेरेंट्स हर बात में बच्चों को मना करते हैं। ऐसे में बच्चों के नजरिए से सोचने की भी जरूरत है। उनकी हर मांग पूरी न करें, लेकिन उन्हें समझाएं कि क्या बेहतर और क्या गलत है।

श्रेया माखिजा, काउंसलर

लत की वजह

● मोबाइल गेमिंग और डाटा
● मूवी और दोस्तों के साथ पार्टी
● मॉल में और ऑनलाइन शॉपिंग
● सिगरेट एवं अन्य लत