भोपाल

मेहनत से बच्चों ने पूरा किया मजदूर पिता का सपना, तीनों बेटे बने पायलट

तीनों बेटों ने कमर्शियल पायलट बनकर अपने पिता के संघर्ष को सार्थक कर दिया

भोपालSep 23, 2021 / 04:27 pm

deepak deewan

भोपाल. संतान का ऐसा श्रेष्ठ सुख बहुत कम लोगों को ही मिल पाता है. मजदूर पिता ने कड़ी मेहनत कर की गई कमाई से अपने बेटों को पाला, उन्हें पढ़ाया—लिखाया. अभावों में पले बेटों ने भी कैरियर बनाने में कोई कोर कसर नहीं रखी और तीनों बेटों ने कमर्शियल पायलट बनकर अपने पिता के संघर्ष को सार्थक कर दिया. मजदूर पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर देनेवाले बेटों की यह कहानी मुरैना के अमृतलाल जाटव की है.

अमृतलाल ने अपने बेटों को पायलट बनाने का सपना देखा और तीनों बेटों ने इसे सच भी कर दिखाया. मजदूरी करनेवाले अमृतलाल ने अपने सपने को पूरा करने के लिए खुद हाड़तोड़ मेहनत की. तीनों बेटों की पढ़ाई के लिए अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों तक से कर्ज लिया. आखिरकार उनका संघर्ष रंग लाया और उनके तीनों बेटे अजय सिंह, विजय सिंह और दीपक कुमार पायलट बन गए हैं.

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अमृतलाल अब अपने बड़े बेटे अजय के साथ भोपाल में ही रहते हैं. मंझला बेटा विजय बैंगलोर में है और छोटा बेटा दीपक कुमार रायबरेली की राष्ट्रीय उड़ान अकादमी में पायलट की ट्रेनिंग ले रहा है. अजयसिंह बताते हैं कि हम तीनों भाइयों को पायलट बनाने का सपना पूरा करने के लिए पिताजी ने अपनी सारी खुशियां कुर्बान कर दीं, अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था.
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तीनों भाइयों का जन्म मुरैना में हुआ लेकिन ज्यादा कमाई करने के लिए अमृतलाल ग्वालियर आकर बस गए. यहां उन्होंने तीनों बेटों को केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाया. सन 2003 से 2012 तक वहीं तीनों बेटे यहीं पढ़े. बेटों के लिए उन्होंने एजुकेशन लोन भी लिया. पढ़ाई के बाद कॉमर्शियल पायलट बनने की ट्रेनिंग के लिए भी पैसों की कमी आड़े आने लगी थी.

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इस पर उन्होंने केंद्र सरकार के दरवाजे भी खटखटाए. अंतत: उनके तीनों बेटों को केंद्र सरकार से स्कॉलरशिप मिल गई. एक के बाद एक उनके तीनों बेटे पायलट बनते गए और उनका सपना साकार होते गया. उनके बड़े बेटे कैप्टन अजय इस समय ड्रोन-एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी और सेम्युलेटर पर काम कर रहे हैं. कैप्टन अजय ने अपने घर में ही सेम्युलेटर तैयार किया है.

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