
सरकार का बड़ा फैसला : नए सिरे से बनेंगे बाबूओं को नौकरी पर रखने के नियम, जांची जाएगी योग्यता
भोपाल। आर्थिक संकट से निपटने के लिए प्रदेश सरकार एक और कदम उठाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत अब प्रदेश में जिलों में मौजूद आकस्मिक निधि और निराश्रित निधि के हिसाब को कॉमन मानीटरिंग सिस्टम पर लाया जाएगा। अभी इस निधि की मानीटरिंग के लिए राज्य स्तर पर कोई सिस्टम नहीं है। राज्य मुख्यालय को इन निधियों के हिसाब के लिए पूरी तरह जिलों की रिपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन नए सिस्टम में विशेष साफ्टवेयर के तहत पूरी राशि का हिसाब आनलाइन मौजूद रहेगा।
दरअसल, आकस्मिक निधि और निराश्रित निधि के रूप में सरकार के पास बड़ी राशि जमा रहती है, लेकिन इसका पूरा उपयोग सरकार नहीं कर पाती है। इसलिए आर्थिक संकट के दौर में गुजर रही सरकार अब इस राशि के उपयोग के रास्ते तलाश रही है। आपदा राशि के विकास कामों में उपयोग के लिए सरकार ने हाल ही में मध्यप्रदेश पुनर्निमाण कोष बनाया है। इस कोष के तहत आपदा की राशि को दूसरे कामों में खर्च करने का रास्ता सरकार को मिल गया है। इसी तरह अब आकस्मिक व निराश्रित निधि को लेकर सरकार की तैयारी है कि पहले इसका पूरा हिसाब तैयार किया जाए, इसके बाद इसके खर्च को लेकर नए नियम बनाए जाए।
अभी जिलों में इन दोनों राशि को खर्च करने के लिए बहुत सी बंदिशें हैं। मसलन, निराश्रित निधि जिला स्तर पर केवल निराश्रित व सामाजिक काम के लिए खर्च हो सकती है। जबकि, आकस्मिक निधि को भी प्राकृतिक आपदा सहित अन्य आकस्मिक परिस्थिति में ही खर्च किया जा सकता है। इन राशियों को विकास व अधोसंरचना के कामों में खर्च करने के लिए 2017 में कुछ छूट दी गई थी, लेकिन अब इसके खर्च को बढ़ाने के लिए और भी नए रास्ते तलाशे जाएंगे। इसी कारण इस राशि को कॉमन मॉड्यूल पर लाने की तैयारी है।
कैसे काम करेगा कॉमन मॉड्यूल- विशेष साफ्टवेयर के तहत कॉमन मॉड्यूल में राशि का पूरा हिसाब आनलाइन दर्ज होगा। इसमें जिला और राज्य स्तर पर दोनों मदों की राशि के आनलाइन ट्रांसफर और खर्च का पूरा ब्यौरा रखना होगा। मुख्यालय स्तर पर ही पता चल जाएगा कि किस जिले में कितनी राशि है और कितनी किस मद में खर्च की गई है। इसके अलावा खर्च राशि का उपयोगिता प्रमाण-पत्र जमा हुआ है या नहीं इसकी ब्रीफ्रिंग भी अपलोड होगी।
2017 में बदले थे नियम-
पिछली शिवराज सरकार ने आर्थिक परेशानियों के कारण निराश्रित निधि को खर्च करने के नियमों में सितंबर 2017 में बदलाव किया था। तब, तत्कालीन सरकार ने इस राशि को विकास कामों में खर्च करने के लिए रास्ता खोला था। इसके अलावा निराश्रित निधि का एक हिस्सा भोपाल मुख्यालय पर जमा कराना अनिवार्य कर दिया था। मंडी शुल्क का दो फीसदी हिस्सा निराश्रित निधि के रूप में आता है। यह पहले जिला स्तर पर ही रहता था, लेकिन २०१७ से दो में से एक फीसदी हिस्सा राज्य मुख्यालय पर भेजना अनिवार्य किया गया। इन दोनों स्तर के मदों को भी अब कॉमन मॉड्यूल में लाया जाएगा।
Published on:
14 Dec 2019 09:33 am
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