
Construction material
विकास वर्मा
भोपाल। समुद्री रेत, फ्लाई एश और पानी से पहली बार कंस्ट्रक्शन मटेरियल बनाया गया है। यह खोज भोपाल स्थित एडवांस मटेरियल एंंड प्रोसेस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एम्प्री) के वैज्ञानिकों ने की है।
वैज्ञानिकों ने टेट्रापॉड्स तैयार किए है, जो पारंपरिक टेट्रापॉड्स के मुकाबले कहीं ज्यादा टिकाऊ और मजबूत हैं। इन्हें बनाने में समुद्री रेत, पानी और फ्लाई एश प्रयोग किया गया है। तीनों की मदद से बने जियो पॉलिमरिक मटेरियल वाले इन टेट्रापॉड्स का इस्तेमाल फिलहाल समुद्र से होने वाले भू-क्षरण को रोकने में किया जाता है।
दो साल चला प्रयोग
एम्प्री के कार्यकारी निदेशक डॉ. एसएस अमृतफले के निर्देशन में दो सालों से वैज्ञानिक इस पर रिसर्च कर रहे थे। टीम ने भुवनेश्वर स्थित नेशनल थर्मल पावर प्लांट के पास शोध कार्य किया। तकनीक से पेविंग ब्लॉक, ब्रिक्स भी बन सकते हैं जिन्हें भवन निर्माण में प्रयोग किया जा सकेगा।
इसके प्रयोग से मीठे पानी, रेत और सीमेंट की खपत में आएगी कमी
डॉ. अमृतफले ने बताया, एम्प्री के जियो पॉलिमरिक एंड रेडिएशन शील्डिंग गु्रप ने फ्लाई एश को समुद्री रेत और पानी में मिलाकर जियो पॉलिमरिक मटेरियल में तब्दील किया। अभी, टेट्रापॉड्स बनाने में सामान्य पानी, रेत व सीमेंट का प्रयोग होता है। जबकि एम्प्री की इस खोज के बाद वेस्ट से बेस्ट मटेरियल बनाना संभव हो गया है। इस तकनीक में समुद्र का पानी व रेत का इस्तेमाल की जा सकेगी।
फ्लाई एश का प्रयोग
थर्मल प्लांट से निकलने वाली एश के डिस्पोजल की कोई सही व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते यह परेशानी का सबब भी बन रहा है। वर्तमान में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी इसके डिस्पोजल को लेकर याचिका दायर है और सुनवाई चल रही है। टेट्रापॉड्स में फ्लाई-एश का प्रयोग हुआ है।
वैज्ञानिकों ने टेट्रापॉड्स तैयार किए है, जो पारंपरिक टेट्रापॉड्स के मुकाबले कहीं ज्यादा टिकाऊ और मजबूत हैं। इन्हें बनाने में समुद्री रेत, पानी और फ्लाई एश प्रयोग किया गया है।
Published on:
27 Aug 2017 08:30 am
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
