
IFS Pankaj Shrivastav, IFS BC Annagiri, IFS OP Sharma, IFS Dr. PS Dubey, IFS Sanjay Shukla, IFS Anil Shrivastav
विजय चौधरी
भोपाल. मामला वर्ष 2019 में सामने आया। तब Indore में तैनात रहे IFS अधिकारियों ने Forest Department के सरकारी मकानों पर कब्जा जमा लिया। तबादला होने के बाद भी इन्होंने मकान खाली नहीं किए और परिजन-बच्चों-रिश्तेदारों के लिए इनका इस्तेमाल होता रहा। किराया देने की नौबत आई तो Department में ही सांठगांठ करके किराया कम करवा लिया। जब तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक अनिल श्रीवास्तव ने साढ़े पांच लाख रुपए का किराया घटवाकर 72 हजार करवा लिया तो दूसरे अफसरों ने भी आवेदन कर दिया। यहीं से मामला खुला।
पत्रिका ने किया खुलासा
2 दिसंबर 2019 को पत्रिका ने खुलासा किया कि IFS अफसरों ने मकान किराए में चपत लगा दी है और अब किराए को माफ करवाने की कोशिश कर रहे हैं। तबादला होने के बाद 6 माह तक मकान में रहने का अधिकार सरकारी अधिकारी को होता है और इसके बाद भी वे रहते हैं तो उन्हें मार्केट रेट से किराया देना होता है। अधिकारियों ने कब्जा जमाए रखा लेकिन मकान किराया नहीं दिया। मार्केट रेट से किराया मांगा तो उसे कम करवाने की तरकीबें खोजने लगे।
छह आइएफएस, 9.49 लाख किराया
डॉ. पंकज श्रीवास्तव, रिटायर्ड PCCF (प्रधान मुख्य वन संरक्षक), पूर्व निदेशक भारतीय वन प्रबंधन संस्थान
4,67,400.00 रुपए वसूले
संजय शुक्ला, APCCF-IT (PCCF)
3,27,100.00 रुपए वसूले
अनिल श्रीवास्तव, रिटायर्ड PCCF (प्रधान मुख्य वन संरक्षक)
72600.00 रुपए वसूले
डॉ. पीसी दुबे, रिटायर्ड PCCF
39360.00 रुपए वसूले
ओपी शर्मा, रिटायर्ड CCF (मुख्य वन संक्षक)
21800.00 रुपए वसूले
बीसी अन्नागेरी, APCCF, फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़ Tiger Reserve
21600.00 रुपए वसूले
जांच में सच उजागर
लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता (Justice NK Gupta) ने पत्रिका की खबर के आधार पर स्वत: संज्ञान लेकर जांच शुरू की। इसमें सच उजागर हुआ और अधिकारियों को Misconduct का दोषी माना गया। वसूली के नोटिस जारी हुए और नानुकुर करते हुए अफसरों ने राशि सरकारी खजाने में जमा करवाई। अब 9 फरवरी को यह मामला नस्तीबद्ध कर दिया गया है।
ऐसे हो रही थी सांठगांठ
इंदौर से खंडवा तबादला होने के बाद भी IFS अनिल श्रीवास्तव ने करीब सवा साल तक मकान खाली नहीं किया। इस पर तत्कालीन वन संरक्षक वीके वर्मा ने 2016 में उन्हें notice थमा दिया। नोटिस में बाजार मूल्य से बकाया किराया साढ़े पांच लाख रुपए मांगा। श्रीवास्तव ने नोटिस को गलत बताते हुए अपील की, जिसे खारिज कर दिया गया। श्रीवास्तव नहीं माने और शासन के पास अपील कर दी। शासन में सचिव कैप्टन अनिल खरे ने वीके वर्मा के आदेश को संशोधित करते हुए किेराया राशि कम कर दी और कहा कि 72 हजार रुपए जमा करें। इससे सरकारी मकानों का बेजा इस्तेमाल करने वाले दूसरे IFS अधिकारियों के हौंसले बुलंद हो गए और उन्होंने भी आवदेन दे दिया। इसके बाद ही यह मामला खुला।
Updated on:
11 Feb 2022 10:17 pm
Published on:
11 Feb 2022 10:11 pm
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
