
phoolan devi
भोपाल। राजधानी की विशेष अदालत ने पूर्व एडीजी को पांच साल जेल की सजा सुनाई है। उन पर 2003 में जेल प्रहरी एवं लिपिक के पदों पर भर्ती के लिए 16 लोगों से 13 लाख रुपए लेने का आरोप था। कोर्ट ने दोषी मानते हुए सजा के साथ 8.75 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। उन्हें जेल भेज दिया गया।
मध्यप्रदेश के आईपीएस आफिसर तत्कालीन जेल एडीजी राजेंद्र चतुर्वेदी को ईओडबल्यू की विशेष अदालत ने पांच साल जेल और 8.75 लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए जेल भेज दिया है। चतुर्वेदी 1982 में चर्चाओं में आए थे, जब उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने दस्यु सुंदरी फूलन देवी का आत्मसमर्पण करवाया था। इस घटना के बाद फूलन देवी चतुर्वेदी को अपना भाई मानने लगी थी और राखी भी बांधती थी।
शिकायत के बाद फंस गए थे चतुर्वेदी
जिला अभियोजन अधिकारी राजेंद्र उपाध्याय के मुताबिक राजेंद्र चतुर्वेदी एक जनवरी 2003 से 26 मई 2003 के बीच जेल विभाग के एडीजी थे। ईओडब्ल्यू में उपेंद्र गौतम नामक व्यक्ति ने शिकायत की थी कि भर्ती के लिए राजेंद्र चतुर्वेदी ने 16 लोगों से 13 लाख रुपए लिए थे। जांच के बाद 28 फरवरी 2006 को FIR दर्ज की गई थी। जब चतुर्वेदी फंसे तो उन्होंने कुछ लोगों को चैक से पैसे वापस कर दिए थे।
कौन है राजेंद्र चतुर्वेदी
सेवानिवृत्त IPS अफिसर राजेंद्र चतुर्वेदी 1980 के दशक में देशभर में छाए हुए थे। बेहमई कांड के बाद फूलन देवी का नाम आतंक की दुनिया में सबसे बड़ा नाम बन गया था। उस समय के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने फूलन देवी और मलखान सिंह के आत्मसमर्पण का जिम्मा तत्कालीन भिंड एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी को सौंपा था। चतुर्वेदी ने अपने संपर्कों के जरिए फूलन की मां और बहन मुन्नी से मुलाकात की। बीहड़ में जाकर फूलन से मुलाकात की थी। इसके बाद उनकी रिकॉर्ड की हुई आवाज फूलन देवी को सुनाई गई। इसके बाद राजेंद्र चतुर्वेदी दिल्ली जाकर मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह से मिले और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी मुलाकात की। फूलन के समर्पण के बाद राजेंद्र चतुर्वेदी रातोंरात देशभर के आईपीएस अफसरों में हीरो बनकर उभरे थे।
Updated on:
17 Jan 2020 12:19 pm
Published on:
17 Jan 2020 12:17 pm
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