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निशा बांगरे के इस्तीफे पर फैसला सोमवार को, सरकार ने पेश की अंडरटेकिंग

सरकार की ओर से इस संबंध में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रविविजय कुमार मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को अंडर टैकिंग पेश की गई है।

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निशा बांगरे के इस्तीफे पर फैसला सोमवार को, सरकार ने पेश की अंडरटेकिंग

मध्य प्रदेश में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के खिलाफ लंबित विभागीय जांच और उनके इस्तीफे को लेकर सरकार द्वारा सोमवार शाम तक फैसला ले लिया जाएगा। सरकार की ओर से इस संबंध में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रविविजय कुमार मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को अंडर टैकिंग पेश की गई है। युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई दशहरा की छुट्टी के बाद तय की है।

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के अंतर्गत आने वाले लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर पदस्थ डिप्टी कलेक्टर बांगरे की ओर से 22 जून 2023 को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि, सरकार की ओर से उनके इस्तीफे पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, जिसके चलते निशा बांगरे की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 24 जनवरी 1973 को पारित मेमो के अंतर्गत सरकार को अधिकारी के इस्तीफे पर तत्काल फैसला लेना चाहिए। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 30 दिनों में इस्तीफे पर फैसला लेने का आदेश दिया था।

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हाईकोर्ट ने पहले सरकार को दिया था 10 दिन का समय

निर्धारित अवधि गुजर जाने के बावजूद भी इस्तीफे पर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया, जिसके चलते डिप्टी कलेक्टर ने हाईकोर्ट में दोबारा याचिका दायर करते हुए कहा कि सरकार द्वारा विभागीय जांच के लिए उन्हें नोटिस जारी किया था। सरकार की तरफ से विभागीय जांच में लगाए गए आरोप उन्होंने स्वीकार कर लिए हैं। बावजूद इसके अबतक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। याचिका पर दोबारा फैसला देते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 10 दिनों में इस्तीफे पर फैसला लेने का आदेश सरकार को दिया था।


सरकार ने आपत्ति लगाकर मांगा अधिक समय

सरकार की तरफ से उक्त आदेश के खिलाफ युगलपीठ के समक्ष अपील दायर की गई थी। अपील में सरकार की ओर से कहा गया कि विभागीय जांच की सभी औपचारिताएं 10 दिनों में पूरी नहीं की जा सकतीं। आरोप के संबंध में पीएससी की अनुमति, संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज होने समेत अन्य जरूरी कार्रवाई जरूरी है। कोर्ट ने सरकार की अपील और डिप्टी कलेक्टर की याचिका पर संयुक्त सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि उनके खिलाफ कोई गंभीर आरोप नहीं हैं। छुट्टी के दुरुपयोग का आरोप है, जिसे उन्होंने स्वीकार किया है। विभागीय जांच लंबित रहने के दौरान इस्तीफा स्वीकार किया जा सकता है। इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए समय सीमा निर्धारित हो। आग्रह को अस्वीकार करते हुए युगलपीठ ने सरकार को विभागीय जांच पूरी कर इस्तीफे पर फैसला लेने का आदेश दिया था।

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सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं निशा

डिप्टी कलेक्टर ने सरकार द्वारा इस्तीफा स्वीकार न करने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता डिप्टी कलेक्टर को इस्तीफा देने का कारण स्पष्ट करते हुए एक-दो दिन में हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए थे। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता के आवेदन का निर्धारण जल्द करें। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वरुण तन्खा के अनुसार, हाईकोर्ट में शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अंडरटेकिंग दी गई है, जिसमें डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ लंबित विभागीय जांच और उसके इस्तीफे पर सरकार सोमवार शाम तक फैसला ले लेगी। इसके बाद युगलपीठ याचिका पर अगली सुनवाई दशहरे की छुट्टी के बाद पेश करने के आदेश जारी किए हैं।


कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की संभावना

आपको ये भी बता दें कि निशा बांगरे मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। क्योंकि पिछले दिनों निशा बांगरे द्वारा छेड़े गए आंदोलन में कांग्रेस ने उनका बढ़-चढ़कर समर्थन किया था। वहीं, गुरुवार देर रात को कांग्रेस ने अपने 88 नामों की सूची जारी की है। इससे पहले पहली सूची में 144 प्रत्याशी घोषित किए थे। लेकिन अगर इन दोनों लिस्टों के प्रत्याशियों को जोड़ा जाए तो कांग्रेस ने अबतक 230 में से 229 उम्मीदवार तो घोषित कर दिए हैं, लेकिन सिर्फ बैतूल की आमला सीट ही होल्ड पर छोड़ी है। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर नामांकन की अंतिम तारीख से पहले निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर हो जाता है तो वो आमला सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार घोषित की जा सकती हैं।