कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी कांग्रेस से पीढ़ियों का नाता बुधवार को तोड़ भाजपा में शामिल हो गए। सिद्धार्थ ने इस दौरान कहा कि वो भाजपा और मोदी की विचारधारा से प्रभावित होकर आए। वैसे बताया जा रहा है कि भाजपा त्यौथर से सिद्धार्थ को उतारने की पूरी तैयारी कर चुकी है। खैर कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि आला नेताओं की ओर से सब्र रखने का ढांढस दिया गया लेकिन बात नहीं बन पाई।
नाराजगी की वजह– त्योंथर और गुढ़ दोनों से जगह से टिकट कटना।
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नाम- अभय मिश्रा
– सुबह भाजपाई होने का दंभ भरा शाम को इस्तीफा ही दे दिया
दो महीने पहले भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व विधायक अभय मिश्रा पिछले कई दिनों से बेचैन थे। अभय ये सियासी गणित बैठाकर भाजपा में आए थे कि यहां सेमरिया विधानसभा से खुद के लिए या अपनी पत्नी नीलम मिश्रा के लिए टिकट तो ले ही आएंगे। लेकिन यहां से मंत्री राजेंद्र शुक्ला के करीबी केपी त्रिपाठी मौजूदा वक्त में विधायक हैं। लिहाजा अभय के समीकरण नहीं बैठ पाए। अब पिछले कई दिनों से शीर्ष नेतृत्व के चक्कर काट रहे अभय को बुधवार को कांग्रेस से सकारात्मक उम्मीद दिखी तो उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। बता दें बुधवार सुबह कांग्रेस प्रभारी रणदीप सुरजेवाला के साथ भी उनकी तस्वीर वायरल हुई। खैर जानकार बताते हैं कि इस बार कांग्रेस में गणित बैठाने में अभय के पसीने छूट रहे हैं।
नाराजगी की वजह– धुर विरोधी केपी त्रिपाठी को सेमरिया से टिकट मिलने के संकेत।
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नाम- नारायण त्रिपाठी
– कांग्रेस में जाने पर अड़चन बरकरार
भाजपा के बागी विधायक नारायण त्रिपाठी इनदिनों कांग्रेस में जाने को बेताब हैं लेकिन अड़चन भी कई सामने हैं। खबर है कि मंगलवार को अपने विधानसभा क्षेत्र में शक्तिप्रदर्शन करने के बाद नारायण सीधे वाया भोपाल दिल्ली रवाना हो गए। और कांग्रेस में प्रवेश की जुगत जमाने लगे। लेकिन बात ठीक से बन नहीं पा रही है। दरअसल इसके पीछे की दो बड़ी वजह सामने आ रही है। पहला एक क्षत्रीय नेता का अडंगा और दूसरा लोकल प्रत्याशियों का लगातार नारायण के खिलाफ विरोध दर्ज करवाना। खैर नारायण ने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं।
नाराजगी की वजह– मैहर से सिंधिया कैंप के करीबी श्रीकांत को टिकट मिलना।