
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही प्रदेश में धार्मिक पुस्तकों की ब्रिक्री जबरदस्त तेजी आई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब तुलसीदासकृत श्रीरामचरित मानस की डिमांड इतनी ज्यादा है। धार्मिक पुस्तकों के तीर्थ माना जाने वाला गीता प्रेस वर्तमान में श्रीरामचरित मानस की मांग पूरी कर पाने में असमर्थ है। गीता प्रेस प्रबंधन के मुताबिक इस साल हर साल के अपेक्षाकृत 20 करोड़ की पुस्तकें ज्यादा बिकी हैं। और मांग के मुताबिक अभी सप्लाई नहीं हो पा रही है। जिसका असर अब प्रदेश में भी नजर आने लगा है। बता दें प्रदेश में गीता प्रेस का डिपो सिर्फ इंदौर में है।
15 मिनट में 500 प्रतियां खरीद ले गए रामभक्त
पत्रिका टीम ने जब रामचरित मानस की बढ़ी हुई डिमांड का जायजा लेने के लिए बाजार का रूख किया। तो एक दुकान से सिर्फ 15 मिनट में 500 रामचरित मानस की प्रतियां रामभक्त खरीद ले गए। इस दौरान एक साथ 22 प्रतियां खरीदने वाले रूपेंद्र से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि ये प्रतियां हम अपने मित्रों और परिचितों को रामलाल की प्रतिष्ठा के शुभअवसर पर उपहार स्वरूप भेंट करेंगे।
जैसे- जैसे तारीख नजदीक आई बढ़ने लगी डिमांड
भोपाल में गोरखपुर प्रेस की फ्रचाइजी पर जाने पर पता चला कि वैसे तो पिछले तीन महिने से ही रामायण, रामचरित मानस, हनुमान चालीसा और श्री राम से जुड़ी अन्य धार्मिक किताबों की डिमांड थी। लेकिन जनवरी के दूसरे सप्ताह से अचानक मांग ज्यादा तेज होने लगी और जैसे- जैसे प्राण- प्रतिष्ठा की तारीख नजदीक आने लगी वैसे- वैसे डिमांड सामान्य दिनों मुकाबले 10 गुना ज्यादा बढ़ गई।
श्रीराम के साहित्यों को पढ़ने का बढ़ा उत्साह
लोगों में श्रीराम से जुड़े साहित्यों को पढ़ने का उत्साह बढ़ा है। गीता प्रेस की पुस्तक मानस अब हर घर में ऱखी जा रही है। लोग पूजा कर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में तो हजारों प्रतियां लोगों ने खरीदी हैं। यदि सामान्य दिनों की बात करें तो करीब 10 गुना मांग बढ़ी है।
पं. दिनेश कुमार गौतम, संचालक, गीता प्रेस भोपाल
Published on:
23 Jan 2024 08:57 pm
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