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डीएम का सपना ले उड़े पीएम

विकलांगों को सक्षम बनाने की योजना किसकी थी। जानने को पढ़ें पत्रिका...

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Ajay Chaturvedi

Jan 18, 2016

वाराणसी.
जमीन पर दिखने लगे तो काशी और काशीवासियों के लिए है बेहतर मौका। चाहे आधारभूत ढांचे का सवाल हो या व्यक्ति और समूहों का। इन दिनों केंद्र और राज्य सरकार की लगी है होड़। इसके पीछे है 2017 विधानसभा चुनाव। विधानसभा चुनाव से पूर्व हुए पंचायत चुनाव में जिस तरह से भाजपा की किरकिरी हुई पूरे प्रदेश में उससे कहीं न कहीं भाजपा खेमे में बेचैनी है। खास तौर पर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को लेकर भाजपा हो या सपा दोनों ही एक दूसरे पर नजरें गड़ाए है। अच्छा यह कि दोनों ही का एजेंडा विकास है। इसके लिए दोनों ही एक दूसरे को पटकनी देने का कोई मौका हाथ से जाया नहीं होने देना चाहते। इसका ताजा तरीन उदाहरण है विकलांगों को उपकरण वितरण। इसमें पीएम ने सीएम को मात दे दी है।


राज्य ने फेंकी मेट्रो की कौड़ी तो केंद्र ने विकलांगों पर साधा निशाना
सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट है काशी में मेट्रो रेल दौड़ाना। इसकी कवायद तेज है। इस पूरी परियोजना पर काम करने वाली कंपनी राइट्स ने डीपीआर तैयार कर लिया है। डीपीआर कमिश्नर को सौंप दिया गया है। अब इस पर 19 जनवरी को महत्वपूर्ण बैठक होनी है। उसके बाद इसे मंजूरी के लिए राज्य शासन को भेज दिया जाएगा। माना जा रहा है कि वर्ष के अंत तक मेट्रो का खाका शहर में दिखने लगेगा। सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट की रफ्तार को देखते हुए केंद्र सतर्क हुआ तो डीएम के प्रोजेक्ट पर कब्जा कर लिया। बतादें कि जिलाधिकारी राजमणि यादव ने बनारस में कार्यभार संभालने के साथ सबसे पहला काम किया था विकलांगों के चयन का। इसके लिए ब्लाक से लगायत तहसील और जिला स्तर पर शिविर लगाए गए। एक छतरी के नीचे सारी सुविधाएं मुहैया कराई गईं। डीएम का लक्ष्य था कि जिले में एक भी विकलांग जरूरी उपकरणों से वंचित न रह जाए। डीएम की सोच थी कि जिले के सारे विकलांगों का चयन हो जाने के बाद मुख्यमंत्री के हाथों उपकरण वितरित कराया जाएगा। लेकिन डीएम के इस काम पर नजर गई भाजपा के प्रदेश नेतृत्व की। प्रदेश नेतृत्व ने उसे तत्काल लपका और केंद्र को सूचित कर आनन-फानन में पीएम का कार्यक्रम तय कर दिया। यहां प्रदेश सरकार पूरी तरह से गच्चा खा गई।


कहीं तो रह गई कसक
हाथ में आई बाजी को छिनता देख अब प्रदेश सरकार ने कुछ और नई योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में है वर्षों से लंबित पुलों को विधानसभा चुनावों से पूर्व लोकार्पित कर देना। इसके लिए काम युद्ध स्तर पर जारी है। सबसे पहले मंड़ुवाडीह क्रासिंग पर लगने वाले जाम की समस्या से मिलेगा निजात। प्रशासन पूरी तरह से कटिबद्ध है कि दशहरे से पूर्व मंड़ुवाडीह आरओबी को लोकार्पित कर दिया जाए। ऐसे ही सामने घाट से रामनगर को जोड़ने वाले गंगा पर निर्माणाधीन पुल का काम भी विधानसभा चुनावों से पूर्व करा देना है। चौकाघाट फ्लाइओवर का विस्तार भी विधानसभा चुनावों से पहले ही होना है। राज्य सरकार का पूरा ध्यान बनारस की ध्वस्त ट्रैफिक को पटरी पर लाना है।

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